तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे?
गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
हमें चाहने वाले मित्र
26 जुलाई 2021
जैसे फ़िरऔन के लोगों और उनसे पहले के लोगों का हाल हुआ
जैसे
फ़िरऔन के लोगों और उनसे पहले के लोगों का हाल हुआ। उन्होंने हमारी आयतों
को झुठलाया तो अल्लाह ने उन्हें उनके गुनाहों पर पकड़ लिया। और अल्लाह कठोर
दंड देनेवाला है। (11)
इनकार करनेवालों से कह दो, "शीघ्र ही तुम पराभूत होगे और जहन्नम की ओर हाँके जाओगे। और वह क्या ही बुरा ठिकाना है।" (12)
तुम्हारे लिए उन दोनों गरोहों में एक निशानी है जो (बद्र की) लड़ाई में
एक-दूसरे के मुक़ाबिल हुए। एक गरोह अल्लाह के मार्ग में लड़ रहा था, जबकि
दूसरा विधर्मी था। ये अपनी आँखों से देख रहे थे कि वे उनसे दुगने हैं।
अल्लाह अपनी सहायता से जिसे चाहता है, शक्ति प्रदान करता है। दृष्टिवान
लोगों के लिए इसमें बड़ी शिक्षा-सामग्री है। (13)
मनुष्यों को चाहत की चीज़ों से प्रेम शोभायमान प्रतीत होता है कि वे
स्त्रियाँ, बेटे, सोने-चाँदी के ढेर और निशान लगे (चुने हुए) घोड़े हैं और
चौपाए और खेती। यह सब सांसारिक जीवन की सामग्री है और अल्लाह के पास ही
अच्छा ठिकाना है। (14)
कहो, "क्या मैं तुम्हें इनसे उत्तम चीज़ का पता दूँ?" जो लोग अल्लाह का डर
रखेंगे उनके लिए उनके रब के पास बाग़ हैं, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी।
उनमें वे सदैव रहेंगे। वहाँ पाक-साफ़ जोड़े होंगे और अल्लाह की प्रसन्नता
प्राप्त होगी। और अल्लाह अपने बन्दों पर नज़र रखता है। (15)
ये वे लोग हैं जो कहते हैं, "हमारे रब हम ईमान लाए हैं। अतः हमारे गुनाहों
को क्षमा कर दे और हमें आग (जहन्नम) की यातना से बचा ले।" (16)
ये लोग धैर्य से काम लेनेवाले, सत्यवान और अत्यन्त आज्ञाकारी हैं, ये
(अल्लाह के मार्ग में) ख़र्च करते और रात की अंतिम घड़ियों में क्षमा की
प्रार्थनाएँ करते हैं। (17)
अल्लाह ने गवाही दी कि उसके सिवा कोई पूज्य नहीं; और फ़रिश्तों ने और उन
लोगों ने भी जो न्याय और संतुलन स्थापित करनेवाली एक सत्ता को जानते हैं।
उस प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी के सिवा कोई पूज्य नहीं। (18)
दीन (धर्म) तो अल्लाह की नज़र में इस्लाम ही है। जिन्हें किताब दी गई थी,
उन्होंने तो इसमें इसके पश्चात विभेद किया कि ज्ञान उनके पास आ चुका था।
ऐसा उन्होंने परस्पर दुराग्रह के कारण किया। जो अल्लाह की आयतों का इनकार
करेगा तो अल्लाह भी जल्द हिसाब लेनेवाला है। (19)
अब यदि वे तुमसे झगड़ें तो कह दो, "मैंने और मेरे अनुयायियों ने तो अपने
आपको अल्लाह के हवाले कर दिया है।" और जिन्हें किताब मिली थी और जिनके पास
किताब नहीं है, उनसे कहो, "क्या तुम भी इस्लाम को अपनाते हो?" यदि वे
इस्लाम को अंगीकार कर लें तो सीधा मार्ग पा गए। और यदि मुँह मोड़ें तो तुमपर
केवल (संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है। और अल्लाह स्वयं बन्दों को
देख रहा है। (20)
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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)
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