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21 जून 2021

(बेहिश्त के) बाग़ों में गुनेहगारों से बाहम पूछ रहे होंगे

 (बेहिश्त के) बाग़ों में गुनेहगारों से बाहम पूछ रहे होंगे (40)
कि आखि़र तुम्हें दोज़ख़ में कौन सी चीज़ (घसीट) लायी (41)
वह लोग कहेंगे (42)
कि हम न तो नमाज़ पढ़ा करते थे (43)
और न मोहताजों को खाना खिलाते थे (44)
और एहले बातिल के साथ हम भी बड़े काम में घुस पड़ते थे (45)
और रोज़ जज़ा को झुठलाया करते थे (और यूँ ही रहे) (46)
यहाँ तक कि हमें मौत आ गयी (47)
तो (उस वक़्त) उन्हें सिफ़ारिश करने वालों की सिफ़ारिश कुछ काम न आएगी (48)
और उन्हें क्या हो गया है कि नसीहत से मुँह मोड़े हुए हैं (49)
गोया वह वहशी गधे हैं (50)

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