एक टी वी चेनल पर ,,टेड़े से मुंह के ,,,चीख चीख कर ,,बकवास करने वाले
,,अल्पज्ञानी ,,जो पत्रकार भी नहीं है ,,सिर्फ चेनल के नोकर है ,,चेनल के
निर्देशो को आगे बढ़ाते है ,,वोह चेनल नोकर ,,आज ,,तीन तलाक़ पर ,,कुछ नासमझ
से लोगो को बिठाकर ,,तीन तलाक़ पर आक्रामक चर्चा कर रहे थे ,,इन नासमझो को
यह पता नहीं ,,क़ुरआन शरीफ के तीन तलाक़ ,,के तरीक़ो को इनमे से एक भी नहीं
समझता ,,,और जो तरीक़ा ,,तलाक़ का क़ुरआन शरीफ में अल्लाह के हुक्म के रूप में
है ,,उसे कोई कितना ही बढ़ा शैतान हो ,,कितना ही बढ़ा हाकम
हो ,,रत्ती भर भी नहीं बदल सकता ,,हाँ ,,हमारे बिकाउँ ,,मोलवी मौलानाओ ने
,,क़ुरआन की आयत ,,सुर ऐ अन्नीसा ,,में तलाक़ के निर्देशो ,,की गलत व्याख्या
कर ,,पुरुषवादी बनाकर ,,ओरतो पर ज़ुल्म ,,एकतरफा बना दिया है ,,इसीलिए ,,तीन
तलाक़ को चन्द गिनती के बेअक्ल व्यापारी ,,मौलानाओ ने तमाशा बनवा दिया है
,,इधर यह टी वी चेनल के नोकर देश के ,,महत्वपूर्ण मुद्दों को भटकाने के लिए
,,,जनता को गुमराह करने के लिए ,,एक पूर्व नियोजित षड्यन्त्र रचकर ,,अपने
जेबी लोगो को बिठाकर ,,मनचाही ,,बात दिखाते है ,,जबकि तीन तलाक़ के मामले
में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ,,क़ुरआन शरीफ की ,,आयत ,,सुर ऐ अन्निसा ,,के
निर्देशो के मुताबिक़ वर्ष 2003 में ही आ गया था ,,सुप्रीम कोर्ट ने शमीम
आरा वाले मामले में ,,,केंद्र सरकार ,,विधि आयोग को निर्देशित भी किया था
के ,,हिंदुस्तान में आनंद नारायण ,,जो मुल्ला के नाम से मशहूर होकर
,,मुस्लिम पर्सनल लो क़ानून की किताब में तलाक़ का जो चेप्टर लिखकर गए है वोह
गलत है ,इसलिए विधि के पाठ्यक्रम में ,,मुस्लिम तलाक़ के तरीक़ों में ,,,सुर
ऐ अन्निसा ,,में दिया गया तरीक़ा ,,जिसमे ,,समझाइश करने ,,पंच फैसले की
समझाइश के बाद ,,असफल होने पर ,,तीन तलाक़ ,,लिखकर ,,बोलकर ,,उच्चारित कर
,,देने वाली क़ुरआन के हुक्म की बाध्यता का नियम पढ़ाया जाए ,,जिसमे आजतक
संशोधन नहीं हुआ है ,,और इसे बेवजह चुनावी मुद्दा बनाकर ,,लगातार उलझाया
जाता रहा है ,,क़ुरआन का कोई ,आदेश ,,कोई हर्फ़ कोई बदल सके ,,ऐसा किसी में
दम नहीं ,,और ऐसा करने की कोशिश करने वाले इतिहास में भी नहीं बचे है ,,,तो
जनाब यह ,,टी वी चेनल के नोकर ,,तीन तलाक़ के नाम पर ,,टी आर पी बढ़ाने के
लिए ,,विज्ञापनों की कमाई ,और देश के ज्वलन्त मुद्दों से आम लोगो का ध्यान
भटकाने के लिए अंडर दी टेबल ,,माल कमा रहे है ,,,इसी पत्रकारिता नहीं
,,सिर्फ भड़वागिरी ही कहते है ,,जो देश के हक़ में नहीं ,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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