ज़ाहिर है ,,गरमी तेज़ होने लगी है ,,अदालत से आते वक़्त ,,नयापुरा चम्बल
रेस्टहाउस के आसपास ,,जूते ,,चप्पल ,,कपड़ो के व्यापारियों के साथ ,,सीज़नल
,,गन्ना के रसव्यापारियों की चरखियां भी लगी है ,,मेरे एक मित्र ने मुझे
आवाज़ दी ,,चरखी पर में रुका ,,मित्र का अनुनय था ,,गन्ना पीकर जाइये ,,इस
सीज़न का मेरे लिए ,,पहला गन्ने का रस था ,,में रुका ,देखा ,,,,आसपास की
गन्ना चर्खियों ,,पर कारोबार महिलाओं का था ,,,पुरुष उनके मददगार थे
,,महिलाओं का तेज़ मेकअप ,,चमकदमक , सजे सँवरे कपड़े ,,,,,,,और उनका गन्ना
चरखी से ,,रस निकालने की कारोबारी तेज़ी ,,देखकर में कुछ सोच ही रहा था
,,के अचानक एक अंकल जो पहले से ही ,,गन्ने का रस ,,पी रहे थे ,,उन्होंने
,,,गन्ने वाली ,,से सवाल कर ही लिया ,,,,अंकल ने ,गन्नेवाली से कहा ,,,तुम
सभी महिलाये ,,गन्ने की चरखियां चलाती हो ,,लेकिन इतनी सजती हो ,,सँवरती हो
,,मेकअप करती ,हो ,बालों को सँवारती हो ,,,कपड़े रोज़ बदलती हो ,,क्या इससे
बिक्री में फ़र्क़ पड़ता है ,,,गन्ने वाली ने ,,अंकल जी की तरफ देखा ,,धीमे
से मुस्कुराइ ,,बिना गुस्से हुए जवाब दिया ,,बोली ,,अंकल ,,हमे पता है
,,सारे सवाल हम गरीबो के लिए है ,,हमे रोज़ ऐसे सवाल सुनना पढ़ते है ,,हमे
इलज़ाम सहना पढ़ते है ,,लेकिन आप बताइये ,,अस्पताल जाइये वहां काउंटर पर
कोनसी महिला होती है ,,किसी कोचिंग में जाइये वहां केसी महिलाये होती है
,,साबुन तेल ,,बेचने वाली केसी महिलाये होती है ,,अंग्रेजी में गिटपिट कर
क्या आपके पास रोज़ ,,महिलाओं के कारोबार ,,इंश्योरेंस के फोन नहीं आते
,,क्यों बिन कपड़ो के महिलाये स्कूटर ,,साइकल का विज्ञापन करती दिखती है
,,कई महिलाये ,,नेताओ का स्वागत करने ,,क्यों लम्बा मेकअप करके ,,अच्छे
कपड़े पहनकर जाती है ,,अंकल ने इस गन्ने वाली के हाथ जोड़े ,,,बोले बाई माफ़
कर में समझ गया ,,लेकिन गन्ने वाली रुकी नहीं ,,उसने कहा ,हमारे इस कारोबार
,पर ,हमारी इस कारोबारी स्टाइल पर सभी को ऐतराज़ है ,,क्या दूसरे
कारोबारियों में महिलाओ पर आपने ऐतराज़ जताया ,,हम गरीब है ,,महनत से
,,बाज़ार की स्टाइल समझकर ,,गन्ना पिलाकर पेट पाल रहे है ,,तो इसमें ऐतराज़
केसा है ,,,हमे पता है ,,रोज़ कैसे कैसे लोगो की भूखी आँखों का हमे सामना
करना पड़ता है ,लेकिन इज़्ज़त बचाकर ,,इज़्ज़त बनाकर ,, इज़्ज़त से मेहनत कर हम
अपना कारोबार कर रहे है तो यह भी कुछ लोगो को अखरने लगा है ,,मेने गन्ने का
गिलास खत्म किया ,,,चुपचाप उठ कर चलता बना ,,और गन्ने वाली के इस दर्द
,,में विज्ञापन की नग्न महिलाये ,,,हर काउंटर पर महिला रिसेप्शनिस्ट का
कन्सेपट देखकर ,,इस व्यवसाय में महिलाओं की भागीदारी के कारोबार से जोड़ कर
देखता रहा ,,,लेकिन एक बात तो सच थी ,,गन्ना रस ,,शुद्ध था ,,मसाला ,,नीबू
,,पोदीना बेहतरीन था ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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