जो मन ,,कर्म ,,विचार ,,से अपराधी होता है ,,न उसे ,,क़ानून ,,समाज
,,सुप्रीमकोर्ट तक का भी डर नहीं होता ,,,अपराध करने के बाद ,,ऐसे अपराधी
,,देश के क़ानून ,,देश के संविधान ,,देश की सुप्रीमकोर्ट ,,को ललकारते हुए
,,कहते है ,,हाँ हमने ,,अपराध किया ,,तुम से जो हो सकता है वोह कर लो ,,एक
वकील ,,एक हाईकोर्ट का दलित जज अगर ,,जजों के कार्यकलापों पर सवाल उठाता
है ,,तो वोह अवमानना क़ानून का दोषी होता है ,,,लेकिन ऐसे लोग जो ,,सुप्रीम
कोर्ट के एक आदेश के बाद ,,लगातार ,,खुले रूप से ,,सुप्रीम कोर्ट
,,देश की अदालते ,,देश के क़ानून को ,,अपने अपराध की स्वीकृति कर ,,ललकार
रहे है ,,उनके खिलाफ कोई भी ,,अवमानना की कार्यवाही नहीं ,,ऐसे लोग जो
,,मीडिया में ,,थोथी पब्लिसिटी हांसिल करने के लिए ,,अपना जुर्म स्वीकार
,,डंके की चोट पर कर रहे है ,,अगर वोह ,,जनता के साथ ,देश के साथ ,,मीडिया
के साथ ,,धोखा नहीं कर रहे ,,तो सीधे अदालत में जाकर अपना जुर्म इक़बाल कर
ले ,,फिर देखे क्या होता है ,,क्या है हिम्मत ऐसे लोगो में ,,देश को देखना
,चाहिए ,,और ऐसे ड्रामेबाज़ मिडिया ,,ऐसे ड्रामेबाजों को उकसाने वालो को
समझना होगा ,,यही अल्फ़ाज़ किसी और ने कहे होते ,,,तो यह बिकाऊ मीडिया ,,अभी
तक ,,विधि विशेषज्ञ ,,सुप्रीमकोर्ट के रिटायर्ड जज ,,वगेरा को डिबेट में
लाइव दिखाकर ,,अब तक ,,ऐसे लोगो को देश का खुला गद्दार साबित कर ,,फांसी की
सज़ा दिलवाने की खुली पैरवी करते हुए नज़र आते ,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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