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09 अप्रैल 2017

एक कन्फ्यूज़न है ,,यार

एक कन्फ्यूज़न है ,,यार ,,आप अनुभवी ,,है ,,,,राष्ट्रभक्त है ,,राष्ट्रभक्ति के बारे में खूब समझते है ,,अपने अनुभव के आधार पर ,,मेरा कन्फ्यूज़न दूर कीजिये प्लीज़ ,,,,अंग्रेज़ों के गुलामी के वक़्त ,,जब आज़ादी के आंदोलन में शामिल लोगो ,,आज़ादी के समर्थक अखबारों ,,आज़ादी के आंदोलन को उकसाने वाले लेखकों ,,के खिलाफ ,, तुरंत दमनात्मक कार्यवाही होती थी ,,अख़बार ,,लेखन सामग्री तक ज़ब्त होती थी , लेखक को ,,काल कोठरी में डालकर ,,काले पानी की सज़ा दी जाती थी ,,ऐसे दमनकारी माहौल में ,,कोई अंग्रेज़ो के यहां नौकरी करने वाला गुलाम ने अगर कुछ ऐसा लिखा होगा ,,,जो अंग्रेज़ो के शासन के खलाफ ,,आज़ादी के दीवानो में ,,आज़ादी की लड़ाई की जान फूंकने वाले ,,अलफ़ाज़ ,,आज़ादी का समर्थन ,,गोरो का विरोध ,,हिंदुस्तान और हिन्दुस्तानियो के प्रति राष्ट्रभक्ति ,,हिंदुस्तान और हिन्दुस्तानियो के आत्मसम्मान के ऐसे अलफ़ाज़ ,,जो आज़ादी के आंदोलन के लिए एक भारतीयता ,,हिन्दुस्तानियत ,,राष्ट्रीयता का हो मंत्र हो ,,जिसमे अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत की ललकार हो ,,अंग्रेज़ो को देश से भगाकर ,,आज़ादी का आत्मसम्मान हो ,,अगर ऐसे अलफ़ाज़ ,,किसी सरकारी नौकर ,,जो तनख्वाह अंग्रेज़ो से ही पाते थे ,,लिखते होंगे ,,तो उनका अंग्रेज़ो ने क्या हाल ,,क्या हश्र क्या होगा ,,,क्या उन्हें जेल में डाला होगा ,,क्या ,,फांसी लगाई होगी ,,या फिर गले लगाकर ,,इज़्ज़त देकर ,,,सरकारी नौकरी को और प्रमोशन देकर ,,इज़्ज़त बख्शी होगी ,,प्लीज़ अपनी राय ज़रूर दीजिये ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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