तुम्हारी
यह क्या
साज़िश थी ,,
पहले प्यार किया ,,
फिर हम पर
अपना सब कुछ
क़ुर्बान किया ,,
भरोसा दिया ,,
तुम ज़िन्दगी
बन गए जब ,,
बताओ
तुम इलज़ाम लगाकर
जुदा क्यों हो गए
तुम्ही बताओ
यह साज़िश थी
यह बदला था
या फिर
यह प्यार था ,,,अख्तर
यह क्या
साज़िश थी ,,
पहले प्यार किया ,,
फिर हम पर
अपना सब कुछ
क़ुर्बान किया ,,
भरोसा दिया ,,
तुम ज़िन्दगी
बन गए जब ,,
बताओ
तुम इलज़ाम लगाकर
जुदा क्यों हो गए
तुम्ही बताओ
यह साज़िश थी
यह बदला था
या फिर
यह प्यार था ,,,अख्तर
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