तुम्हारे फोन भी
तुम्हारा साथ देते है ,,
बिछड़ने की
ज़िद तुम करो अगर
यह कमबख्त फोन भी
आप क़तार में है ,,
आप पहुंच से बाहर है
सिर्फ यही कहते है ,,अख्तर
तुम्हारा साथ देते है ,,
बिछड़ने की
ज़िद तुम करो अगर
यह कमबख्त फोन भी
आप क़तार में है ,,
आप पहुंच से बाहर है
सिर्फ यही कहते है ,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)