यह अलफ़ाज़ जो होते है न ,,दर्द भी देते है ,,यही अलफ़ाज़ ,,,खुशियां भी देते
है ,,यही अलफ़ाज़ ,,ज़ुल्म भी करते है,,, तो यही अलफ़ाज़ इन्साफ भी करते है ,,इन
अल्फ़ाज़ों का सारथी ,,,,इन अल्फ़ाज़ों का संरक्षक ,,,अगर कोई इन्साफ पसन्द
,,विनम्र ,,ईमानदार शख्सियत हो ,,,तो जनाब ,,,यही अलफ़ाज़ ,,,,प्यारे से लगते
,है ,,समाज हो ,,देश हो ,,शोषित हो ,,उत्पीड़ित हो ,,,,,उसके इन्साफ का
ज़रिया बनते है ,,एक इंक़लाब बनते है ,,एक जेहाद बनते है , एक जज बनते है
,,दिल्ली से प्रकाशित ,,,,उर्दू ,,हिंदी ,,इंग्लिश जुबांन में प्रकाशित
,,,साप्ताहिक समाचार पत्र ,,टाइम्स और पेडिया ,,के सम्पादक,,, भाई अली आदिल
,,की क़लम से निकले,,, अल्फ़ाज़ों का कुछ,, इसी तरह का जादू है ,,अली आदिल
,,,,जो एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषक ,,चिंतक ,,लेखक ,,,वक्ता और पत्रकार भी है
,,देश की विभिन्न सन्सक्रतियो के ज्ञाता ,,कई ज़ुबानों पर महारत हांसिल
रखने वाले ,,,विनम्र क़लमकार है ,,देश और विदेश के ज्वलन्त मुद्दों पर
,,,उनकी पैनी नज़र ,,उन हालातो पर ,,समस्या ,,कारण और निवारण के सुझावों के
साथ,,,,, उनकी विनम्र लेखनी ,,,क़लम से निकले अलफ़ाज़ ,,,आम लोगो के दिलों
में,,, बस जाते है और वोह,,, खुद भी हालातो से संघर्ष करने के फैसले
में,,,, शामिल ,होकर ,इस गंगा जमुनी सन्स्क्रति ,,इस भारतीयता की तहज़ीब
,,इस साम्प्रदायिक सद्भाव ,,कोमी एकता ,,की तहज़ीब को,, बचाने निकल पढ़ते है
,,यूँ कहिये के जब अली आदिल ,,लिखते है तो लगता है ,,अलफ़ाज़,,,, विनम्र
होकर,,, लोगो के दिलों को बदल रहे है ,,जब यह बोलते है तो,,, महसूस होता है
के ,,अल्फ़ाज़ों की बगिया के खूबसूरत ,,लेकिन कांटो रहित फूल झड़ रहे है
,,,अली आदिल ,,जैसा नाम वैसा काम ,,,,,अली यानि सच्चाई का रक्षक ,,एक
योद्धा ,,एक ईमानदारी ,,एक कुशल शासक ,,मज़लूमो का रहबर ,,,आदिल ,,,यानी
विनम्रता ,,यानी इन्साफ ,,बस जैसा नाम,, वैसा किरदार ,,अली आदिल ,,विनम्रता
से ,,मीठे अल्फ़ाज़ों के साथ ,,,लेकिन ,,दबंगता और निर्भीकता से ,,अपने
अल्फ़ाज़ों को,,, कुछ इस तरह से ,,बेहतरीन खयालातों में पिरोते है ,के इनके
आलेख ,,इनकी लेखनी ,,,,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ,,,सराही जाती है ,,देश के कई
पत्रकार सम्मेलनों ,,लेखक सम्मेलनों की ,,अली आदिल ,,रौनक बनते है ,,टी वी
के कई चेनल्स पर,,, इनकी खुली बहस ,,इनके द्वारा ऐंकरिंग के कार्यक्रम
,,इनके कई अखबारों ,,मेग्ज़ीनो में छपे ,,आज़ाद लेख ,समाज के मार्गदर्शन का
काम करते है ,,अली आदिल कहते है ,,थोड़ी विनम्रता ,,थोड़ी जानकारी ,,थोड़ी
मुस्कुराहट ,,थोड़ी ख़ामोशी ,,,ईमानदारी के साथ ,,मिलाओ ,,,,तो एक कामयाब
पत्रकार ,,एक लेखक की पहचान मिल सकती है ,अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के
छात्र रहे ,,अली आदिल ,,मेरठ से जुड़े है ,,इन दिनों दिल्ली में रहकर
,,पत्रकारिता के कार्य से जुड़े है ,,,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर,,, इनके कई
व्याख्यान ऐतिहासिक है ,,इनके लेखन से ,,,,समाज में कई बदलाव आये ,है
,,,,अली आदिल यूँ तो कोटा के दामाद भी है ,,इनकी धर्मपत्नी भी,,,,
पत्रकारिता से जुड़े महकमे ,,,,प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो में ,,अधिकारी है
,,, दोनों का एक ही मिजाज़ होने के कारण ,,अपने हमसफर के साथ ,,,,,,पूरी
हमदर्दी से ,,,,,अली आदिल ,,अल्फ़ाज़ों के ,साथ ,उनके इस्तेमाल को लेकर पूरी
तरह निष्पक्षता ,,निर्भीकता ,,ईमानदारी के साथ इंसाफ कर रहे है ,,,,,,,
खुदा ने अली आदिल को इनकी खूबसूरत शक्ल ,,खूबसूरत स्मार्ट पर्सनालिटी की
तरह ही इनका मिजाज़ खूबसूरत ,,मधुर बनाया है ,,बातों ही बातों में किसी को
भी हमेशा के लिए अपना बना लेना इनका हुनर है ,,हाल ही में कोटा में आयोजित
राष्ट्रीय क़लमकार सम्मेलन में अली आदिल मुख्य अतिथि थे ,इस सम्मेलन के
आयोजक भाई ,,ओमेन्द्र सक्सेना का शुक्रिया जो उनके इस आयोजन से ,,अली आदिल
जैसी अंतरराष्ट्रीय लेखन दुनिया की इस खुसूसी शख्सियत से मुलाक़ात का मौक़ा
मिला ,,ऐसी विनम्र ,,अल्फ़ाज़ों के जादूगर ,,निर्भीक पत्रकारिता के संरक्षक
बने ,भाई अली आदिल को सेल्यूट ,,सलाम ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)