में काँटा ही तो था
तुम्हारे प्यार की राह का ,,
रोज़ चुभता था में तुम्हारी राह में
अच्छा हुआ जो तुमने
मुझ कांटे को यूँ ही निकाल दिया ,,अख्तर
तुम्हारे प्यार की राह का ,,
रोज़ चुभता था में तुम्हारी राह में
अच्छा हुआ जो तुमने
मुझ कांटे को यूँ ही निकाल दिया ,,अख्तर
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