आपका-अख्तर खान

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19 फ़रवरी 2017

यह सोशल मिडिया है न ,,,,एक दूसरे को समझने ,,एक दूसरे से,, रिश्ते बनाने ,,हंसी हंसी में ,,खूबसूरती से ,,वक़्त गुज़ारने और एक दूसरे से ,,,सीखने का ज़रिया है

दोस्तों बुरा न मानना ,,,,एक बात कहूँ ,,यह सोशल मिडिया है न ,,,,एक दूसरे को समझने ,,एक दूसरे से,, रिश्ते बनाने ,,हंसी हंसी में ,,खूबसूरती से ,,वक़्त गुज़ारने और एक दूसरे से ,,,सीखने का ज़रिया है ,,सच कहूँ,,, आपके हज़ारो हज़ार मित्र हो सकते है ,,सब अलग अलग सन्स्क्रति ,,अलग अलग विचारधारा ,,अलग अलग धर्म ,,,मज़हब के हो सकते है ,,सभी को हमे,,, उनकी बुराइयो ,,उनकी अच्छाइयों के साथ ,,,निभाना है ,,प्यार में ,,मीठे अल्फ़ाज़ों में,,,, खूब ताक़त होती है ,,,,हम हमारे प्यारे,, मीठे अल्फ़ाज़ों से ,,, एक दूसरे के विचार बदल सकते है ,,लेकिन दोस्तों,,,, कुछ मेरे भाई ,,कुछ मेरी बहने ,,इस सोशल मिडिया के सभी,,, मित्रो पर ,,,अपना हक़ समझते है ,,वोह सोचने लगे है,,, ,सोशल मिडिया एक्टिविस्ट,,,, वैसा ही करे ,,,जैसा वोह चाहते है ,,वही लिखे,,, जैसा वोह सोचते है ,,वोह सोचते है ,,हम तो ज्ञानी है ,,हम तो पुराने पापड़ है ,,,,जो हमसे जुड़े है ,,,यह तो बालबुद्धि है ,,दोस्तों ,,,,बस यही हमारे अंदर ,,एक अहंकार का जन्म होता है ,,,,हमारे अंदर,,,, एक रावण पैदा होता है ,,,खुद के विचार अंतिम है ,,खुद सर्वोत्तम है ,,बस यही मानसिक रोग ,,,हमे ,,गुस्सा दिलाता है ,,और हम,,, कुछ लोग ,,,जो प्यार से अपनी पोस्ट ,,,टेग कर देते है ,,शेयर कर देते है ,,कुछ लोग ,,,टूटे फूटे अल्फ़ाज़ों में ,,ख्यालात ज़ाहिर कर देते है ,,या हमारी खूबूसरत ,,बेहतर पोस्टों को देखकर भी,,, उन्हें बिना टिपण्णी के,,,, बिना लाइक किये,,, नज़र अंदाज़ कर देते है ,बस ,,,हम गुस्सा होते है ,,जो करना है,,, वोह तो करते ही है ,,लेकिन ,,,अपनी इस गुस्से में की गयी ,,,,अमर्यादित हरकत पर ,,खुलेआम ,,,अपनी वाल पर लिखकर ,,अपने अंदर की बुराई को,,, बढे गर्व से लिखते है ,,जिस बुरी आदत को हमे ,,,,भूलना चाहिए ,,उस कार्यवाही पर हम,,, गर्व करते हुए लिखते है ,आज मेने सफाई की,,, बहुत से दोस्तों को ,,, अनफ्रेंड कर दिया ,, लिखते है,,, कुछ टैगिये बाज़ नहीं आ रहे ,,उन्हें हमने,,, अन्फ्रेन्ड कर दिया ,,कुछ लिखते है,,, में तो ऐसा ही लिखूंगा ,,जिसे मुझ से नाराज़गी है,,, अनफ्रेंड हो जाए ,,अरे दोस्तों ,,यह प्यार ,, मोहब्बत का कारोबार है ,,यहां नफरत का ,,यहां एक दूसरे से अनफ्रेंड होने का,, माहौल नहीं सिर्फ और सिर्फ दोस्ती का माहौल है ,में जानता हूँ ,,मेरी इस विचारधारा से,, बहुत लोग असहमत होंगे ,,में जानता हूँ,, मेरे सभी मित्रो में ,में ही एक सबसे कम,,, जानकार अज्ञानी हूँ ,,में जानता हूँ ,,मुझे लिखना नहीं आता ,,मेरे विचार प्रकट करने में,,, में सक्षम नहीं ,हूँ ,फिर भी दोस्तों ,,मेने एक दुस्साहस किया है ,,माफ़ी का तलबगार हूँ ,,एक बार सिर्फ एक बार,, अपने अंदर झाँक कर ,,अपने आप से पूंछना,,, हम अहंकारी भाषा ,,अपनी वाल पर,, जब लिखते है ,,जिसमे मेने ,,,आज सफाई कर दी ,,टेगियो को सबक़ सिखा दिया ,,इन बॉक्स में ,,आने वालो को सबक़ सीखा दिया ,,वगेरा वगेरा ,,यह ठीक है,,, या फिर गलत ,,ठीक लगता है ,,,तो करते रहो ,,गलत समझते हो ,,तो ,,मेरे भाइयो ,,मेरी बहनो ,,आपकी आज़ादी है,,, आप जिसे चाहिए,, अनफ्रेंड करे ,,जिसे चाहिए,, फ्रेंड बनाये ,,जिससे चाहे इनबॉक्स में बात करे ,,जिसे टैगिये को ,,अपनी सूचि से बाहर करे ,,बस ,, मुझे माफ़ करना ,,में नासमझ हूँ ,,लिखना पढ़ना नहीं जानता,, बस दिल से सोचता हूँ दिल से लिखता हूँ ,,दिमाग तो मुझमें ,,,है ही नहीं ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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