देखो तुम्हारी ख़ुशी
तुम्हारी मुस्कुराहट के लिए ,,
तुम्हारे कहते ही
हम तुमसे जुदा हो गए ,,
फ़र्क़ बस इतना है
तुम खुशियो के साथ
मुस्कुरा रहे हो ,,
इधर हम भीगी आँखों से
आज भी
तुम्हारे इन्तिज़ार में है ,,अख्तर
तुम्हारी मुस्कुराहट के लिए ,,
तुम्हारे कहते ही
हम तुमसे जुदा हो गए ,,
फ़र्क़ बस इतना है
तुम खुशियो के साथ
मुस्कुरा रहे हो ,,
इधर हम भीगी आँखों से
आज भी
तुम्हारे इन्तिज़ार में है ,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)