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21 फ़रवरी 2017

कोटा शहर का दुर्भाग्य है के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ताओ के साथ हमेशा प्रशिक्षु आई पी एस से विवाद हुआ

राजस्थान में भाजपा के गढ़ कोटा के महावीर नगर थाना क्षेत्र के एक एस एच औ के साथ भाजपा विधायक ,,उनके पति और कार्यकर्ताओ की भिड़ंत के बाद इत्तेफ़ाक़न नज़दीक पेट्रोल पम्प पर लगी आग के बाद कोटा सोशल मिडिया ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया में तहक़ीक़ात के बगेर अफवाहों का बाज़ार गर्म हुआ ,,,हालात बिगड़ने लगे ,,लेकिन कोटा के ज़िम्मेदार ,,पुलिस अधिकारियो ,,प्रशासनिक अधिकारियो ने बात को सम्भाल लिया अब हालात सामान्य है ,,खेर कार्यवाहियां तो चलेंगी ,,लेकिन फिल्हाल क़ानून व्यवस्था की स्थिति में तो सुधार है ,,दोस्तों हम और आप कोंग्रेस ,,भाजपा या फिर किसी भी पार्टी के हो सकते है ,,लेकिन हमे एक अच्छे शहरी भी होना चाहिए हमे ,,हमारी ज़िम्मेदारियाँ देखना होगी ,,यह ज़रूरी नहीं प्रतिपक्ष की पार्टी की कोई भी कार्यवाही हो हम चीख चीख कर उसके खिलाफ माहौल बनाने लगे ,,हम कोंग्रेसी है अगर हम ऐसा करने लगे तो हम में और वोह लोग जो शहर और देश के वातावरण को बिगाड़ने के लिए कोई मौक़ा नहीं छोड़ना चाहते उस बिना पंजीयन वाले संघटन और हमारे में क्या फ़र्क़ रह जाएगा ,,कल खूब अफवाह फैली ,,भाजपा कार्यकर्ता का चालान काट दिया तो सी आई के थप्पड़ मार दिया ,,पेट्रोल पम्प जला दिया गया ,,,वगेरा वगेरा ,,दोस्तों एक फरवरी को चालान हुआ ,,कार्यकता को विधि अनुसार छोड़ दिया ,,जनप्रतिनिधि से अभद्रता की शिकायत लेकर कार्यकर्ता थाने पहुंचे ,,कहा सुनी हुई ,,कार्यकर्ताओं को शान्ति भंग में बन्द कर दिया ,,,,महावीर नगर सहित कुछ शहरी वार्ड रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र में आते ,,है ज़ाहिर है जनप्रतिनिधि वहां कार्यकर्ताओ की मदद को ,जाएंगे ,,चन्द्रकान्ता मेघवाल उनके पति नरेन्द्र मेघवाल के विरुद्ध बेवजह टकराव की कोई पूर्व शिकायते भी नहीं है ,,,आम तोर पर नोसिखिये अधिकारी अगर वहां नहीं होते ,,तुरन्त ,,कार्यकर्ताओ को शांत्तीभंग में अदालत पेश करवाते ज़मानत होती ,,मामला शांत हो जाता ,,लेकिन कोटा शहर का दुर्भाग्य है के स्वाभिमान की लड़ाई लड़ने वाले कार्यकर्ताओ के साथ हमेशा प्रशिक्षु आई पी एस से विवाद हुआ है और फिर विवाद निरन्तर बढ़ते हुए ,,धरने प्रदर्शन आंदोलन तक नोबत पहुंच जाती है ,,वोह बात अलग है ,,कुछ नेता कुछ पार्टियां कार्यकर्ताओ के अपमान को हल्केपन में लेती है लेकिन कोंग्रेस भी कार्यकर्ताओ के स्वाभिमान की रक्षा की पक्षधर है ,,कल भाजपा के विधायक क्षेत्र के कार्यकर्ताओ के स्वाभिमान का सवाल था ,,ज्ञापन देने गए कार्यकर्ताओ की शांति भंग में गिरफ्तारी का मामला था,,,आखिर एक आई पी एस प्रशिक्षु अगर परिपक्व होते ,,समझदारी से काम लेते ,,वरिष्ठ अधिकारियो से मशवरा कर लेते ,,हो सकता है ,,विवाद ही नहीं होता ,,,लेकिन कोटा का दुर्भाग्य है ,,प्रशिक्षु आई पी एस के लिए कोटा की क़ानून व्यवस्था अक्सर हठधर्मिता की भेंट चढ़ती रही है ,,यह गम्भीर प्रश्न है ,,अगर कोई प्रशासनिक अधिकारी है तो उसे अपने अहम को ताक में रखकर ,,आम आदमी की सुनवाई तो करना ही होगी ,,जनप्रतिनिधि या उनके द्वारा भेजे गए ,,प्रतिनधियों का सम्मान भी करना होगा ,वोह बात अलग है क़ानून की पालन समझाइश कर वरिष्ठ अधिकारियो को सूचित कर ,आसानी से करवाई जा सकती है ,,लेकिन नए प्रशिक्षु ताक़त और लट्ठ के बल पर ऐसा काम कोटा में करवाने के लिए पुरानी शिकायतों से जुड़े है ,,कोटा में राजीव दासोत ,,भूपेंद्र दक सहित कुछ गिनती के आई पी एस प्रशिक्षुओं को अगर हम छोड़ दे तो बाक़ी अधिकतम आई पी एस किसी न किसी विवाद की वजह रहे है ,,यह एक गम्भीर प्रश्न है ,,सरकारों को प्रशिक्षु आई पी एस को फ्री हेंड छोड़ते वक़्त ,,जनप्रतिनिधियो ,,अख़बार से जुड़े ,लोगो ,आम जन से व्यवहार का पाठ पढाना चाहिए ,,ऐसे प्रशिक्षु आई पी एस की प्रोबेशन डायरी में प्रशासनिक अक्षमता के बाद बढ़ी घटना होने पर ,,एंट्री का क़ानून बनाकर सज़ा का भी प्रावधान करना चाहिए ,,ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओ से बचा जा सके ,,ऐसे मामलों में हमे सभी को सियासत से दूर रहकर सिर्फ घटना की तहक़ीक़ात के बाद ही अपनी प्रतिक्रियाएं देना चाहिए ,,वोह तो शुक्र है खुदा का के कोटा में पुलिस अधीक्षक सवाई सिंह गोधारा ,,आई जी विशाल बंसल ,,कलेक्टर डॉक्टर रवि कुमार सुरपुर ,,व्यवहारिक है ,,आम जनता में उनकी निष्पक्ष और सूझबूझ वाली कार्यवाही की साख बनी है ,,इसीलिए इतना बढ़ा टकराव ,,इतनी बढ़ी पेट्रोल पम्प पर आगजनी की अफवाहों के बाद उपजी विस्फोटक स्थिति पर भी खूबसूरती से नियंत्रण कर लिया गया ,,भाजपा सत्ता में है ,लेकिन इसका मतलब यह नहीं के पुलिस अधिकारी या पुलिस अधिकारी उनके नोकर है ,,पुलिस अधिकारी कार्यकर्ताओ से पिटने के लिए ,,या फिर अभद्रता सहने के लिए नहीं है ,,कार्यकर्ताओं को समझना होगा के अगर कोई अधिकारी हठधर्मिता दिखा रहा है ,,तो शहर में कई ज़िम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी है उनसे तो अपनी बात कहें ,,मामला दो मिनट में सुलझाने की क्षमता रखने वाले पुलिस अधीक्षक हमारे कोटा शहर को तोहफे के रूप में मिले है ,,दर्ज एफ आई आर पर क्या होगा वोह अनुसन्धान का विषय है ,,लेकिन कोटा जैसे अमन पसन्द शहर में जहाँ पुलिस अधीक्षक सवाई सिंह गोधारा के दरवाज़े ,,इन्साफ के लिए हमेशा खुले हो वहां इस तरह की बचकानी घटनाये ,,पुलिस अधिकारियो और आम जनता ,,खासकर भाजपा जनप्रतिनिधियो और उनके कार्यकर्ताओ के लिए शर्मनाक सी लगती ,है ,,,घटना के तुरन्त बाद चटखारे ले लेकर अफवाहे फैलाने वालो के लिए भी यह घटना शर्मनाक ही कही जायेगी ,,,,लेकिन एक बात साफ़ है इस घटना की विस्फोटक स्थिति के बाद ,,जिस खूबसूरती से कोटा पुलिस अधीक्षक सवाई सिंह गोधारा ने मामला निस्तारित किया है ,,इससे उन्होंने एक बार फिर अपनी कार्यकुशलता ,,प्रशासनिक प्रबन्ध को साबित कर दिखाया है ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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