आपका-अख्तर खान

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27 फ़रवरी 2017

ताजा-ताजा है;

लिखूं कुछ आज
यह वक़्त-ए-दौर का तकाजा है;
मेरे दिल का दर्द अभी
ताजा-ताजा है;
गिर पड़ते हैं मेरे आंसू
मेरे ही कागज पर;
लगता है कि कलम में
स्याही का दर्द ज्यादा है!

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