सच कहूँ
मेरे हर अल्फ़ाज़ में
तुम हो
मेरे जज़्बात
तुम्हारी चाहत है
पता नहीं
तुम इन्हें पढ़ते भी हो
या नहीं ,,
तुम इन्हें
सोचते भी हो
या नहीं ,,अख्तर
मेरे हर अल्फ़ाज़ में
तुम हो
मेरे जज़्बात
तुम्हारी चाहत है
पता नहीं
तुम इन्हें पढ़ते भी हो
या नहीं ,,
तुम इन्हें
सोचते भी हो
या नहीं ,,अख्तर
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