एक पत्रकार ,,एक ,शख्स ,राजत खन्ना ,जो आज भी खड़ा है ,ईमानदार पत्रकारिता
के साथ ,,,,सभी जानते है ,,अलफ़ाज़ किसी अख़बार के गुलाम नहीं ,,विचार और खबरे
किसी उद्योगपति पत्रकारिता के नोकर नहीं होते ,,विचार सिर्फ विचार होता है
आज़ाद होता है ,,उसे न कोई रोक सका है ,न कोई टोक सका है ,,पत्रकारिता के
संघर्ष को जीतकर यह सब साबित कर दिखाया है ,मेरे अनुज कोटा के युवातुर्क
पत्रकार ,,,भाई रजत खन्ना ने ,,बहुमुखी प्रतिभा के धनी ,,रजत खन्ना किसी
परिचय के मोहताज नहीं ,,इनके विचार ,,इनकी लेखनी ,,जब आग उगलती है तो
उद्योपति ,,राजा रजवाड़े दुम दबा कर भागते है ,,रजत खन्ना की लेखनी जब किसी
बेबस ,,लाचार के आंसू पोंछती है तो उसे इंसाफ मिलता है और वोह रोता हुआ
चेहरा खुशी से मुस्कुरा उठता है ,,बस इसीलिए रजत खन्ना विभिन्न अनुभवों के
साथ इल्केट्रॉनिक चेनल के सम्पादन के साथ ,,सोशल मीडिया पर ,,,राष्ट्र
निर्माण के भाव से अल्फ़ाज़ों की आग उगल रहे है ,,सोशल मीडिया पर रजत खन्ना
की आग उगलती लेखनी ,,चमचो को पसंद न आती हो ,,लेकिन यह लेखनी ,,यह अलफ़ाज़ एक
दिन इस समाज में फिर से इंक़लाब का सबब बनेंगे ,,एक संग्राम ,,महासंग्राम
,,एक क्रान्ती बनेंगे ,,ऐसा लेखन से जुड़े राष्ट्रवादियो का विचार बन गया है
,,,पत्रकारिता एक संघर्ष है ,,सच का आयना है ,,शोषण उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई
है ,,कोई समझोता नहीं सिर्फ लेखन ,,लेखन ,,संपादकों का पहरा ,,,अगर
पत्रकारिता पर हो ,,,तो फिर जय सियाराम ,,,पत्रकारिता को समझ कर,,,,,लोगों
को उनकी ख्वाहिश के हिसाब से,,, सामग्री परोसना एक कला है और यह सब ,,,कला
भाई रजत खन्ना खूब अच्छी तरह से जानते है ,,,,,,,,,,,रजत खन्ना ने
,,,साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रकाशन से,,, पत्रकारिता की शुरुआत की ,,फिर
कुछ दिन,,, दैनिक समाचार पत्र में ,,,मेरे साथ भी रहे ,,विचारों इंक़लाब
,,,स्वभाव में ईमानदारी ,,कार्य में समर्पण ,,,खबर चयन ,,लेखन कार्य में
गुणवत्ता ,,,इनकी खूबी रही है ,,,न डरना ,,न झुकना ,,,इनका स्वभाव रहा है
,,,,दैनिक राजस्थान पत्रिका में रजतखनना ने कुशलता से ,,,पत्रकारिता का काम
किया ,,कोटा,,, फिर दौसा ,,फिर कई ज़िलों में पत्रकारिता के जोहर दिखाने के
बाद ,,आज़ाद तबियत होने से,,, रजत खन्ना ,, ई पत्रकारिता की तरफ गए और ई
अख़बार में ,,,सम्पादन का लम्बे समय तक,,, काम करने के बाद ,,,,फिर कोटा के
एक दैनिक में,,, पत्रकारिता का कार्यभार संभाला ,,,,,लगातार पत्रकारों की
गुटबाज़ी ,,चुगलखोरी ,,खबरों में कांटछाट से दुखी,,,, रजत खन्ना ने,,,, अपने
साथियों के हक़ के लिए भी ,,,संघर्ष किया ,,आवाज़ उठाई ,,वोह पत्रकारिता
को,,, निर्भीक और निष्पक्ष रूप से ही,,,, परोसना चाहते ,,,है ,,,इसीलिए वोह
एडजस्टमेंट पत्रकारिता से खिन्न रहे ,,और स्वेच्छा से उन्होंने अखबारी
पत्रकारिता को तिलांजलि दी ,,कई ऑफर उनके पास आये,,,, लेकिन पत्रकारिता के
अनुभव ,,,,उन्हें स्वतंत्र लेखन से रोके ,,,,यह उन्हें मंज़ूर नहीं था
,,,इसीलिए कोई भी ऑफर,,, उन्होंने स्वीकारा नहीं ,,लेकिन ,,,,इलेक्ट्रॉनिक
पत्रकारिता के अनुभव के चलते ,,,,अब वोह ,,,,इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता को
समर्पित है ,,अपनी टीम के साथ ,,,पत्रकारिता के नए आयाम ,,ज्ञान वर्धक,,,
विधा लोगों को,, सिखा रहे है ,,रजत खन्ना ,,,पेशे से पत्रकार है ,,लेकिन
,,,शोषित लोगों की आवाज़ ,,,पत्रकारिता के प्रति समर्पण ,,निष्पक्ष
,,निर्भीक ,,न्यायप्रिय सम्पादन,,, इनकी पहचान है ,,,नेतृत्व क्षमता ,,लेखन
की आक्रामक विधा ,,,खूबसूरत अल्फ़ाज़ों का चयन ,,,खबरों पर तीखी ,,,पेनी
निगाह ,,,,मृदुल स्वभाव ,,हँसते हँसते ,,बातों ही बातों में,,, खबर निकाल
लेने की कला,,, रजत खन्ना में होने से,,, इन्हे इनके बराबर के साथी,,, हरफन
मोला माहिर,,,, पत्रकार कहकर पुकारते है ,,,रजत खन्ना इलेक्ट्रॉनिक
मिडिया,,, पत्रकार संघ के चेयरपर्सन भी है ,,,,,,,,,,रजत खन्ना से
पत्रकारिता की नई विधा ,,,नई ज़िद ,,नई निर्भीकता ,,नई परिभाषा का जन्म हुआ
है ,,,उन्होंने बता दिया के पत्रकारिता रोज़गार नहीं,,, पेट पालने का ज़रिया
नहीं ,,,,बल्कि एक मिशन ,,एक संघर्ष है ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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