आपका-अख्तर खान

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15 फ़रवरी 2017

,कहावत यूँ ही नहीं बनी ,,जिसमे कहा गया ,,है,,, किसी पर भी धर्मग्रंथ लाद देने से,,, कोई भी महा ज्ञानी नहीं बन जाता

सूटेड बूटेड होकर ,,डिग्रियां ,,,ऐसी डिग्रियां जिनकी जाँच पड़ताल  करवाने में भी,,, जो हिचकता है ,,उसकी समझदारी ,,उसके पढ़े लिखे होने का सुबूत ,,उसके आचरण ,,वायदे निभाने के ,,उसके चरित्र ,,लोगो की परेशानी के वक़्त,, ऐसे शख्स की मदद का जज़्बा ,,हठधर्मिता से दूरी ,,सहित कुछ ऐसी बाते है ,,,जो किसी भी शख्स के ,,,पढ़े लिखे होने का सुबूत,,, बिना डिग्री के दे देते है ,कहावत यूँ ही नहीं बनी ,,जिसमे कहा गया ,,है,,, किसी पर  भी धर्मग्रंथ लाद देने से,,, कोई भी महा ज्ञानी नहीं बन जाता, ,,दोस्तों ,,,में बात किस की कर रहा हूँ ,,,आप तो समझ ही गए होंगे ,,,,एक बे पढ़े शख्स ,,एक अज्ञानी व्यक्ति की तरह ,,तथ्यों से काफी दूर ,,,बातो को फैलाना जिसका शोक हो ,,उसकी अज्ञानता पर,,, हंसी तो आती है ,,लेकिन ,,,उनके पढ़े लिखे होने ,लोकतंत्र के प्रति उनके जवाबदार होने ,,आम वोटर के लिए ,,,उनके दिल में सम्मान होने जैसे,,,, मामलों पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है ,,,आप जनाब का ज्ञान देखिये,,,, देश के सवा सो करोड़ लोग ,,जबकि आज देश के,,, एक सो तीस करोड़ लोगो से ज़्यादा लोग हो गए है ,,आप जनाब का ज्ञान देखिए ,,स्पीकर को  लोकसभा में,,,, आदर्णीय नहीं गली चौराहे की नुक्कड़ सभा की  तरह ,,बहनो भाइयो कहकर सम्बोधित किया जाता है ,,सड़को पर कहा जाता है,, मुझे संसद में बोलने नहीं दिया जाता ,,,फिर कहा जाता है ,,कोंग्रेस ने सत्तर सालो में देश को बर्बाद किया है ,,कुनबा परस्ती सत्तर साल से चली है ,,अरे भाई देश का विकास ,,देश की एकता ,,देश की सेना का साहस ,,देश की परमाणु ताक़त तुम्हे नज़र नहीं आती ,,देश के लोग विश्व निर्माण में लगे है ,,विश्व में बेस्ट डॉक्टर ,,बेस्ट इंजीनियर देश के लगे है ,,इन सूटेड बूटेड पढ़े लिखे ,,, बिना जाँच पड़ताल की डिग्रीधारी आदरणीय साहिब का ,,,अल्पज्ञान तो देखिये ,,कहते है कोंग्रेस का सत्तर साल का शासन रहा,,, कुछ नहीं किया ,,अब पढ़ लिखकर डिग्री हासिल करने वाला कोई स्नातक ,,राजनीतिशास्त्र में,,, स्नातकोत्तर होता,,, तो वोह इतना समझता के ,,,उन्नीस सो सेतांलिस से वर्ष दो हज़ार सत्रह  तक  कूल सत्तर साल आज़ादी को हुए ,,प्रधानमंत्री और दलीय शासन की स्थिति भी,,,, इन जनाब ने नहीं देखी ,,,,हर बार चुनाव हुए ,,आपात काल के अलावा ,,,हमेशा जनता ने अपने दिल से लोकतांत्रिक तरीके से सरकार चुनी है ,,प्रधानमंत्री चुने है ऐसे में लोकतांत्रिक प्रणाली का मखोल उढाना लोकतंत्र का मज़ाक़ है ,,,अब आंकड़े देखिये देश में पन्द्रह अगस्त उन्नीस सो सैतालीस से सत्ताईस मई उन्नीस सो चोसठ लगभग बीस वर्ष पण्डित जवाहर लाल नेहरू कोंग्रेस के प्रधानमंत्री रहे ,,फिर गेर गाँधी परिवार के गुलज़ारी लाल नन्द नो जून उन्नीस सो चोसठ कुल तेरह दिन प्रधानमंत्री रहे ,,फिर ग्यारह जनवरी उन्नीस सो छियासठ तक लगभग दो साल ,,लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री रहे ,,फिर तेरह दिन गुलज़ारी लाल नन्दा प्रधानमंत्री बने ,,जून उन्नीस सो चोसठ से मार्च उन्नीस सो सतत्तर तक लगभग ग्यारह साल ,,इंद्रा गांधी प्रधानमंत्री रही ,,फिर जुलाई उनीस सो उन्यासी तक ढाई वर्ष मोरारजी देसाई जो भाजपा  की पूर्व जनसंघ समर्थित थे प्रधानमंत्री रहे ,,फिर जनवरी उन्नीस सो अस्सी तक चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री रहे ,,,फिर अक्टूबर उन्नीस सो चोरासी तक लगभग पांच वर्ष इन्द्रा गांधी प्रधानमंत्री रही ,,दिसम्बर उन्नीस सो नेवासी पांच साल एक महीने राजिव गाँधी प्रधानमंत्री रहे ,,फिर नवम्बर उन्नीस सो नब्बे तक वी पी सिंह ,,जून उन्नीस सो इक्रानवे तक चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री रहे ,,फिर मई उन्नीस सो छियानवे तक नरसिम्मा राव ,,तेरह दिन अटल बिहारी वाजपई ,,एक साल देवगोड़ा ,,एक साल इंद्र कुमार गुजराल ,,, मई दो हज़ार चार तक छह वर्ष से ज़्यादा अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहे ,,मई दो हज़ार चोव्दाह तक मनमोहन सिंह मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे ,,अब दो हज़ार चोव्दाह से अब तक यही महाज्ञानी साहिब प्रधानमंत्री बने हुए है ,,,अगर पढा लिखा कोई , ओरिजनल डिग्रीधारी होता तो वोह इस सच को सामने रखकर ही कोई अपना अधिकृत बयांन जारी करता ,,दिमाग लगाता ,,आंकड़े लेता ,,लेकिन पुरे सत्तर साल कोंग्रेस ने कुछ नहीं किया ,,एक परिवार का शासन रहा कहकर हास्यास्पद स्थिति पैदा करने वाले यह जनाब खुद मज़ाक़ बन गए है ,,अब देखिये कोंग्रेस के पण्डित नेहरू बीस वर्ष ,,इंद्रा गांधी सोलह वर्ष ,,राजिव गाँधी पांच वर्ष प्रधानमंत्री रहे ,,लेकिन गुलज़ारी लाल नन्दा ,,,लालबहादुर शास्त्री ,,मनमोहन सिंह का तेरह वर्षो का कार्यकाल रहा है ,,अब गेर कोंग्रेसी लोग जो इन जनाब की विचारधारा  समर्थन से रहे मोरारजी देसाई ढाई वर्ष ,,वी पी सिंह एक वर्ष ,,चौधरी चरण सिंह ,,इंद्रकुमार गुजराल ,,,चन्द्रशेखर ,,देवगोडा ,गेर कोंग्रेसी रहे खुद भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी छह वर्ष और आप तीन वर्षो से है इस तरह से देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता तो आपके हाथो में भी रही है ,,तो जनाब डिग्री कहीं से भी लाये हो ,,केसी भी डिग्री हो ,,लेकिन अब तो आंकड़ो को पढ़ लो ,,दुसरो की जन्मकुंडली अपने पास रखने का दावा करते हो ,,राजनीतिविज्ञान का खुद को स्नातकोत्तर बताते हो और ,,राजनीती के आंकड़ो का ज्ञान भी नहीं रखते हो ,,हमे शर्म आती है आपके इस अल्पज्ञान पर सो प्लीज़ अपना ज्ञान बढाईये ,,दुसरो  की जन्म कुंडली भी रखिये ,,उन्हें जनता को मत बताइये ,,बस उन्हें डरा धमका कर ब्लैकमेल करने के लिए जुमले छोड़िये ,,गलत आंकड़े ,,गलत जुमले जनता में फैलाइये ,,ऐसे स्वभाव को छोड़िये ,खूब सूटेड बूटेड रहे ,,किसी को ऐतराज़ नहीं ,,बस देश की जनता से झूँठ ,,महा झूँठ मत बोलिये ,,देश की  राजनीति शास्त्र के आंकड़े पढिये फिर बोलिये ,,पहले तोलिये फिर बोलिये ,,,,आप अब गली के भाई नहीं आप देश के सर्वोच्च पद पर हमारे आदरणीय है ,,आप से उम्मीद कर सकते है ,,आप अब तो खुद को बदलने की कोशिश कर लेंगे ,,ट्यूशन लगाकर अब आंकड़े एकत्रित कर ही बोला करेंगे ,,,,,हम आपके आभारी रहेंगे ,,क्योंके हमे हमारे देश के सर्वोच्च सम्मानित पद को सम्मानित भाषा ,,,अधिकृत आंकड़े बोलते हुए देखने और सुनने पर ही गर्व होगा ,,वरना हमे शर्मिंदगी होती है ,,देश के बच्चे गलत पाठ पढ़कर बिगड़ रहे है उन्हें बचाना भी हमारा ज़िम्मेदारी है ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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