रूठा था
यह सोचकर ,,
जान से भी ज़्यादा
प्यार करते है
वोह मुझे मना लेंगे ,,
खूब मज़ाक़ हुआ ,,
रूठा भी में ,,
टूटा भी में ,,
वोह मिले तो सही
मगर प्यार के बगेर ,,,,,अख्तर
यह सोचकर ,,
जान से भी ज़्यादा
प्यार करते है
वोह मुझे मना लेंगे ,,
खूब मज़ाक़ हुआ ,,
रूठा भी में ,,
टूटा भी में ,,
वोह मिले तो सही
मगर प्यार के बगेर ,,,,,अख्तर
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