चरखा,,,, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चलाया था ,,चरखा ,,चलाकर ,,,खादी का
उत्पादन ,,हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने का ,,,महात्मा गाँधी का सन्देश था
,,महात्मा गांधी ,,,उन दिनों ,,महंगे सूट बूट वाले,, अंग्रेज़ो के मुखबीर
,,देश के गद्दारो को ,,,सबक़ सिखाना चाहते थे ,,,एक तरफ ,,,अँगरेज़ महंगे सूट
बूट वाले ,,दूसरी तरफ ,,आज़ादी के मतवालो को ,,,मारगिराने के लिए
,,अंग्रेज़ो के सूट बूट वाले ,,,स्वदेशी मुखबीर ,,जो लाटसाहब बने फिरते थे
,,उनसे महात्मा गाँधी,,, देश को बचाना चाहते थे ,,गद्दार कोन थे ,,देश की
आज़ादी के आंदोलन से ,,,कोन दूर रहे ,,किसने मुखबिरी की ,,कोन ,,अंग्रेजों
का सरकारी गवाह बना ,,देश जानता है ,,लेकिन स्वदेशी के नाम पर ,,खादी से
शुरुआत हुई ,,जो छद्म स्वदेशी आंदोलन की बात ,,,करने वाले कोई भी व्यक्ति
ने,,, नहीं उठाई है ,,बाबा रामदेव को मेने ,,,खादी पहने नहीं देखा
,,स्वदेशी आंदोलन की बात करने वालो में से ,,, कुछ को छोड़कर,,, किसी को
खादी पहने,,, मेने नहीं देखा ,,प्रधानमंत्री ,,नरेदंर मोदी खादी पहनते है
या नहीं ,,क्यों नहीं पहनते ,,,यह तो में नहीं कह सकता ,,लेकिन ,,,कोंग्रेस
संगठन ,,,जिसके विधान में अंकित है ,,,खादी पहनना,,, हर सदस्य के लिए
अनिवार्य है ,,अपनी कमाई की वार्षिक बेलेन्स शीट,,, कार्यालय में देकर,,,
एक प्रतिशत अनुदान देना ज़रूरी है ,,स्वदेशी सामान का इस्तेमाल ,,दहेज़ नहीं
लेना ,, सामाजिक कुरीतियो के खिलाफ जाग्रति कार्यक्रम चलाना , शराब या
किसी भी तरह के नशे से दूर रहना ,,पर्यावरण संरक्षण करना ,,वर्ष में सात
दिन अवकाश लेकर ,,सामाजिक कार्यो में ,,सेवा कार्य करना जिसमे ,,नालियां
साफ करना ,,कुए ,,तालाब खोदना ,,पेड़ लगाना ,,कच्ची बस्तियों में सहंयोग
करना ,,ज़रूरी है ,,लेकिन जब से,,,, फूल सन्स्क्रति के लोग ,,,कोंग्रेस पर
क़ाबिज़ हो गए है ,,जनता से जुड़ाव और खादी से प्रेम के अलावा ,,,बेलेन्स शीट
कार्यालय में पेश कर,,, एक प्रतिशत चन्दा देने की परम्परा ही खत्म हो गयी
है ,,और इसीलिए ,,महात्मा गाँधी का चरखा छीनने ,,नोटों से ,,महात्मा
गाँधी का नाम हटाने ,,,महात्मा गाँधी के चश्मे का,,, उपहास उड़ाने ,,उनके
हत्यारो का मन्दिर बनाकर ,,,हत्यारो को महिमामंडन करने का ,,, कारोबार
शुरू हो गया है ,,,,गाँधी के हत्यारो के समर्थको की हिम्मत देखिये के
,,,राहुल गाँधी के सच के खिलाफ मानहानि का मुक़दमा दर्ज कर,,, उन्हें धमका
रहे है ,,,यह सब इसलिए के,,, अब झूँठ बिकने लगा है ,,महात्मा गाँधी,, किसी
पार्टी के नहीं,,, वोह देश के है ,,देश के हर नागरिक के है ,,जिन्होंने ,,
उनकी हत्या की ,,हत्या करवाई ,,उनके भी गान्धी है ,,जिन्होंने ,,ऐसा नहीं
किया,,, उनका समर्थन किया ,, वोह भी गाँधी पर ,,,अपना हक़ रखते है ,,लेकिन
,,कव्वा ,,अगर चले हंस की चाल ,,,तो अपनी चाल भी भूल जाता है ,,यह कहावत भी
,,,किसी ने कुछ सोच कर ही बनाई है ,,चरखा कातना,,, एक अलग बात है ,,और
सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए,,,, चरखे पर बैठकर ,,फोटो खिंचवाना,,, दूसरी
बात है ,,चरखा कातो ,,खूब विज्ञापन करो ,,खादी का प्रचार करो ,,किसे दिक़्क़त
है ,,लेकिन दिल से ,,गान्धी का सम्मान,,, कम करके नहीं ,,गांधी जहां है,,,
वहां रहेंगे ,,वोह दिलो में है ,,वोह देश की आत्मा में है ,,जितना देश में
नहीं ,,,उससे कहीं ज़्यादा ,,गाँधी विश्व के मनोमस्तिष्ठ और ,,,रूह में
बसे है ,,अफ़सोस है तो इस बात का,,, महात्मा गाँधी के नाम पर ,,उनके विचारो
के नाम पर ,,,सियासत करने वाले लोग ,,इस गम्भीर मामले में,,, अब तक नहीं
बोले है ,,एक मंत्री कहते है ,,गाँधी का फोटू ,,नोटों से हटा देंगे ,,एक
कहते है ,,गाँधी के चरखे वाला फोटू लगाना ,,क़ानून नहीं है ,,अरे परम्परा तो
रही है ,,क्या ,,,अपने बुज़ुर्गो की क़दम बोसी करना,,, क़ानून है ,,नहीं न
,,,सिर्फ परम्परा है ,,तो फिर ,,,क्या उसे छोड़ दोगे ,,यह सब नियत और
संस्कार की बात है ,,अफ़सोस है के,, गान्धी विचारधारा के नाम पर ट्रस्ट
चलाने वाले ,,मंच चलाने वाले ,,गाँधी विचारधारा के संरक्षण की बात ,,करने
वाले,, इस गम्भीर मुद्दे पर,, अभी तक एक जुट नहीं हुए है ,,वोह आंदोलन के
रूप में,,, सामने नहीं आये है ,,उन्होंने ,,,कोई अभियान नहीं चलाया है
,,खुद,, गांधी के पोते तुषार ,,हिम्मत हार गए है,,, उन्होंने हथियार डालते
हुए ,,बोझिल मन से कहा है ,,,हाँ,,, अगर तुम चाहते हो तो,,, गान्धी का
फोटू,,, नोटों से भी हटा दो ,,क्या करते ,,,,एक विचारधारा ,,एक लक्ष्य को
लेकर ,,,चलने वाले करोडो करोड़ का चन्दा कर ,,,ट्रस्ट चलाने वाले लोग ,,,जब
खामोश है ,,क्या करते ,,इस नाम,,पर , वैचारिक मंच बनाकर ,,बढे बढे नेताओ
से,,, रसूखात बढ़ाने वाले ,,गिरगिटी नेता जब खामोश है ,,,अरे गाँधी का एक
इतिहास है,,, उसे सजोया जा सकता है ,,,लोकसभा ,,विधानसभा में हंगामा किया
जा सकता है ,,में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चरखे के साथ ,,,,फोटू
खिंचवाने के खिलाफ नहीं हूँ ,,ख़ुशी की बात है ,,देश में ,,वोह एम्बेसेडर
ब्रांड बने ,,लेकिन परम्परागत खादी के साहित्य या विज्ञापनों में ,,,जहाँ
गान्धी है,,,, वहां अतिक्रमण का विरोधी हूँ ,,महात्मा गाँधी पर ,,,मेरा या
देशवासियो का जितना हक़ है ,,अधिकार है ,,,उतना ही ,,हक़ ,,अधिकार
,,,नरेन्द्र मोदी ,,उनके समर्थको का है ,,लेकिन दिखावा अगर हो ,,या फिर
परम्परा से अलग हठ कर,,,, गान्धी के सम्मान को,,, कम करने का इरादा हो,,,
तो जनाब विरोध की एक चिंगारी उठेगी ,,जो मशाल बनेगी ,,,फिर ज्वाला बनकर ऐसी
विरोधी विचारधारा को,,, जला कर राख कर देगी ,,,,इसलिए कहता हूँ ,,,गाँधी
के नामपर दूकान चलाने वालो ,,गान्धी के नाम पर सियासत करने वालो ,,दिल से
गाँधी से जुडो ,,दिल से गान्धी की बात करो , दलितों से जुडो ,,अल्पसंख्यको
को सुरक्षा और सम्मान दो ,,बराबर का दर्जा दो ,,कच्ची बस्तियों ,,गाँवों
में ,,आदिवासियों में सेवा कार्य करो ,,भेदभाव मत करो ,,नफरत खत्म खत्म करो
,,गूटबाज़ियाँ खत्म करो ,,आंतरिक कलह भूल जाओ ,,भ्रष्टाचार किसी का भी हो
उसके खिलाफ आवाज़ उठाओ ,,अपनी पार्टी के निर्मित आदर्श संविधान की पालना करो
,,दलितों ,,अल्पसंख्यको से अछूत व्यवहार करना बन्द करो ,,,जो गांधी
विचारधारा को सर्वोच्च मानेगा उसकी पालना करेगा वही देश पर राज करेगा
क्योंकि ,,,,, यह पब्लिक है सब जानती है ,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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