कितना अजीब है,,, मेरे देश का यह क़ानून ,,,,सुप्रीम कोर्ट ने ,,लोकसभा
,,विधानसभा प्रत्याक्षियों के लिए उनकी सम्पत्ति ,,उनके विरुद्ध मुक़दमे
,,उनकी शिक्षा सम्बन्धित कई महत्वपूर्ण तथ्य ,,शपथ पत्र पर देने ,,शपथ पत्र
,,आम जनता के लिए ,,नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने ,,जनता को उसकी सत्यता
जांचने का हक़ दिया है ,,देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ,,देश की
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता प्रमाणपत्र की जांच
अव्वल तो खुद चुनाव आयोग को करवाना चाहिए ,,लेकिन जब चुनाव आयोग ने वेरिफाई
सत्यापित नहीं किया तो आम हिंदुस्तानी ने इस मुद्दे को उठाया ,,फिर सुचना
के अधिकार में जवाब माँगा ,,सुचना आयोग ने डिग्री जांचने का आदेश जारी
किया ,,आदेश जारी करने वाले इस आयुक्त महोदय का क्या हाल हुआ सभी जानते है
,लेकिन एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने ,,प्रत्याक्षी की सभी शपथ पर दी गयी
जानकारियां जांचने का हक़ दिया है ,,इस मामले में लोकप्रतिनिधीत्व अधिनियम
में संशोधन लोकसभा ने किया है ,राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से यह क़ानून देश
में लागू है लेकिन इस क़ानून के तहत एक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ,,एक
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ,,की शैक्षणिक योग्यता का सत्यापन नहीं करने
दिया जा रहा है ,,जबकि अगर डिग्री ,मार्कशीट ,दी गयी जानकारियां सही है तो
,,इस तरह के उच्चपद ,,संवैधानिक पद ,,सम्मानित पद ,सत्यता की शपथ लेकर देश
के क़ानून की पालन करने की शर्त पर प्राप्त किया गया पद होने के बाद भी अब
तक ,,खुद इस मुद्दे को साफ़ नहीं किया है ,,खुद अपनी डिग्री ,,मार्कशीट का
सत्यापन नहीं करवाया है ,,जबकि ,,ऐसे आरोप लगाने वाले का मुंह बन्द करने के
,,लिए खुद ही अपनी मार्कशीट ,,डिग्री का सत्यापन करवा लेना चाहिए था
,,अख्तर खान अकेला
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