फिल्म ,,प्यार की मिस कोल ,,के सुपर ,पार्श्व गायक ,,सैयद मुज़फ्फर उर्फ़
इमरोज़ के,,, कोटा आगमन पर ,,उनके साथ ,,,खूब मज़े किये ,,अपने मन चाहे गीत
,,उनकी और उनके भाई सय्यद रिज़वान उर्फ़ महरोज की,,, सुरीली आवाज़ में कई गीत
,,क़व्वालियाँ सुनी ,, ,,टोंक का सफर ,,कैसे गुज़र गया ,,पता ही नहीं चला
,,,सय्यद मुज़फ्फर ,,द्वारा फिल्म ,,प्यार की मिस कोल ,,का गीत ,,एक तो
तन्हाई है ,,सुपर हिट हुआ ,,सय्यद मुज़फ्फर ,,फिल्म ,,माई डाइरेक्ट गांधी
,,में मशहूर क़व्वाल ,,राजा हसन के साथ ,,क़व्वाली मुक़ाबले में ,,वारिस
पिया की क़व्वाली में ,,,सुर से सुर मिला रहे है ,,,तो फिल्म ,,यह केसी
परछाई ,,में ,,,इन्होंने ,,यह केसी चली हवा ,,गीत गाया है ,,फिल्म मनसा में
,,तू मेरी आरज़ू ,,गीत भी,,, इन्ही की पुर कशिश आवाज़ में है ,,जबकि फिल्म
,,,मज़ाक़ मज़ाक़ में ,,फरीद साबरी के साथ,,, क़व्वाली ,,जिस किसी को नवाज़े खुदा
,, आफताब हो जाये ,,के गायक है ,,,इनकी कई फिल्मे ,,,अभी चल रही है ,,कुछ
रिलीज़ होना बाक़ी है ,,सय्यद मुज़फ्फर का जन्म मुम्बई में ,फ़िल्मी कलाकारों
के बेस्ट मेक अप मेन ,,एस मुसर्रत के यहां हुआ ,,इन्होंने मुम्बई से ही
इंजीनियरिंग की ,,एम बी ऐ क्या ,,सय्यद मुजफर कहते है ,,गीत ,,ग़ज़ल
,,क़व्वाली गुनगुनाना ,,मेरा बचपन का शोक रहा है ,,यह मेरी साधना है
,,तपस्या है ,,,खुदा की इबादत के बाद ,,,दूसरी इबादत है ,,इसलिए में गीत
,,,ग़ज़ल ,,या फिर कुछ भी ,, अल्फ़ाज़ों में खोकर गाता हूँ ,, बस इसीलिए,,,
खुदा की नवाज़िश मेरे साथ है ,,,सय्यद मुज़फ्फर ,,रियल स्टेट रायपुर की ,,एक
नामचीन कम्पनी में,,, प्रबन्धक है ,,वोह कहते है ,,,गायन एक आर्ट है ,,और
में ,,,आर्ट को,, पेट पालने का ज़रिया,,, नहीं बनाऊंगा ,,में इसे साधना,,
बनाना चाहता हूँ ,,और काफी हद तक में ,,,कामयाब भी हूँ ,,,सुर ,,संगीत के
उतार चढ़ाव ,,खिंचाव ,,अल्फ़ाज़ों में कशिश पैदा कर ,,,जज़्बात पैदा करना
,,इनकी सुरीली ,,,पुरकशिश आवाज़ का हुनर है ,,कई बार,,, इनके छोटे भाई
,,इंजिनियर रिज़वान उर्फ़ महरोज और इनकी अम्मी जान ,,,श्रीमती फ़िरोज़ सय्यद भी
,,इन्हें मोटिवेट करती है ,,इनके कई निजी एलबम है ,,लेकिन इन एलबमों को
इन्होंने,, व्यवसाय का ज़रिया नहीं बनाया है ,,फ़िल्मी दुनिया में पार्श्व
,,गायक के रूप में इनके पास ऑफर बहुत है ,,लेकिन ,जो कलाकार,, इनके गायन को
अपने समर्पित अभिनय के साथ ,,ज़िदंगी दे सके ,,,,ऐसे कलाकार के लिए ही ,,यह
गाना पसन्द करते है ,,, सय्यद मुज़फ्फर मेरे कज़िन भी है ,,इन दिनों वोह
कोटा में ही मेरे साथ है ,,,,,,सय्यद मुज़फ्फर राजस्थान में उर्दू अदब ,,,को
स्कूलों से स्टाफिंग पैटर्न के नाम पर खत्म करने को लेकर चिंतित नज़र आये
,,वोह कहते है ,,उर्दू एक विरासत की जुबांन ,,तहज़ीब की जुबांन ,,अदब
,,क़ायदे की जुबांन है ,,आम ज़िन्दगी हो यार फिर फ़िल्मी ,,गीत ग़ज़ल ,,मौसिक़ी
की ज़िन्दगी हो ,,उर्दू के बगेर मोहताज हो जाती है ,,उन्होंने कहा के
,,फ़िल्मी कलाकार संघ की तरफ से भी राजस्थान में मदरसों ,,प्रायमरी स्कूलों
से लेकर ,,कॉलेज स्तर तक ,,,उर्दू को ज़िन्दगी देने के लिए विशेष कार्यक्रम
चलाने के लिए एक गुज़ारिश पत्र लिखा जाएगा ,,,, अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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