आपका-अख्तर खान

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17 जनवरी 2017

अपने दिल पर हाथ रख कर सोचो

अपने दिल पर हाथ रख कर सोचो ,,,अंग्रेज़ो के टुकड़ो पर पलने वाला ,,अंग्रेज़ो का गुलाम नोकर ,,क्या कोई ,,गुलामी से आज़ादी का नारा ,,,गुलामी से आज़ादी का गीत ,,लिखने की हिम्मत कर सकता है ,,अगर कोई जांबाज़ सिपाही ऐसी हिम्मत कर भी ले ,,तो क्या अँगरेज़ ऐसे गुलाम को नोकरी से हटाये बगेर प्रमोशन दे सकते है ,,इनाम दे सकते है ,,दोस्तों इतिहास के पन्नो में खोजो हम गुलाम मानसिकता को आज़ादी की छद्म कहानी समझकर अंगीकार तो नहीं कर रहे ,,उसे देश भक्ति से जोड़कर अंग्रेज़ो की गुलामी की दास्ताँ जो अंग्रेज़ो के गुलामो ने लिखी है उसे आगे तो नहीं बढ़ा रहे ,,अख्तर

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