अपने दिल पर हाथ रख कर सोचो ,,,अंग्रेज़ो के टुकड़ो पर पलने वाला ,,अंग्रेज़ो
का गुलाम नोकर ,,क्या कोई ,,गुलामी से आज़ादी का नारा ,,,गुलामी से आज़ादी
का गीत ,,लिखने की हिम्मत कर सकता है ,,अगर कोई जांबाज़ सिपाही ऐसी हिम्मत
कर भी ले ,,तो क्या अँगरेज़ ऐसे गुलाम को नोकरी से हटाये बगेर प्रमोशन दे
सकते है ,,इनाम दे सकते है ,,दोस्तों इतिहास के पन्नो में खोजो हम गुलाम
मानसिकता को आज़ादी की छद्म कहानी समझकर अंगीकार तो नहीं कर रहे ,,उसे देश
भक्ति से जोड़कर अंग्रेज़ो की गुलामी की दास्ताँ जो अंग्रेज़ो के गुलामो ने
लिखी है उसे आगे तो नहीं बढ़ा रहे ,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)