बेहद ,,बेहद ,
इतना बेहद ,,
जितना
लिखा न जा सके
इतना बेहद
जिसकी
कल्पना न की जा सके
इतना बेहद
जितना
पढ़ा न जा सके ,,
इतना प्यार
इतना प्यार
सच में है तुमसे ,,
फिर भी
तुम हद में
रहते हो न
तो गुरुर टूटता है
सुरूर टूटता है ,,अख्तर
इतना बेहद ,,
जितना
लिखा न जा सके
इतना बेहद
जिसकी
कल्पना न की जा सके
इतना बेहद
जितना
पढ़ा न जा सके ,,
इतना प्यार
इतना प्यार
सच में है तुमसे ,,
फिर भी
तुम हद में
रहते हो न
तो गुरुर टूटता है
सुरूर टूटता है ,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)