मेरे
प्यारे दोस्तों ,,मेरे आदरणीय बुज़ुर्गो ,,बहनो ,,माताओ ,,,,मेरे प्रशंसको
,,मेरे आलोचकों ,,आपका ,,स्नेह ,,प्यार और मार्गदर्शन ,,मुझे लगातार ,,,
मिलता रहा है ,,,, में गदगद हूँ के,,, मुझे आप ,,,साथियो का प्यार ,,दुलार
,,मार्गदर्शन,,, मिला ,,कभी आपने ,,,मेरे कान उमेठे,, तो कभी आपने ,,मुझे
शाबाशी दी है ,,,,कभी आपने मुझे उत्साहित किया है ,,इन दिनों में दुविधा
में हूँ ,,कन्फ्यूज़ हो गया हूँ ,,मेरा एक सवाल ,,क्या लेखनी ,,क्या ,,अपने
विचारो को ,,किसी जगह ,,गिरवी रखना चाहिए ,,क्या ,,,आज़ाद लेखनी पर ,,,नाराज़
लोगो से,, समझौता कर ,,उनकी ख्वाहिश के मुताबिक़ ,,,खुद को ,,, बदल लेना
चाहिए ,,मुझ से ,,,कुछ लोग इसी तरह की ,,,समझाइश भी करते है ,,,,वोह चाहते
है ,,मेरी लेखनी ,,,मेरे द्वारा लिखे गए विचार,,, सिर्फ वही हो ,,,जो उनको
पसन्द हो ,,में वोह लिखूं ,,,जो उनकी सोच हो ,,वोह लोग मेरे लेखन को ,पूरा
पढ़े ,,पूरा समझे बगेर ,,,चाहे जो टिप्पणी कर दे,,, उसे में स्वीकार करूँ
,,,वोह,, जो सोचते है ,,वोह ,,जो पसन्द करते है ,,,में सिर्फ ,,और सिर्फ
,,वही लिखू ,,लेकिन दोस्तों ,,वोह मेरे अपने है ,,दिल के नज़दीक है ,,फिर भी
,,मेरा दिल है ,,के मानता ही नहीं ,,में सूरज,, अगर सुबह उगता है ,,तो
,,,सूरज उग रहा है ,,लिखता रहा हूँ ,,में ,,,अगर सूरज तप रहा है ,,तो,,
सूरज तप रहा है ,लिखता रहा हूँ ,,में अगर सूरज बादलों में ,,छुप गया ,,तो
सूरज ,,,बादलों की ओट में है,,, लिखता रहा हूँ ,,में ,,सूरज अगर ,,,डूब गया
,,,तो सूरज डूब गया,,, लिखता रहा हूँ ,,किसी ,,,बुरे ने अगर ,,अच्छाई
दिखाई है,,, तो में ,,,,उसे लिखता रहा हूँ ,,किसी अच्छे ने अगर,,, बुराई
दिखाई है ,,,तो में उसे ,,,,बुराई लिखता रहा हूँ ,,,आज सोमवार है ,,आज
मंगलवार है ,,जो यतार्थ है ,,जो दिख रहा है ,,जो हो रहा है ,,जो बदल रहा है
,,बस ,,,वही में,,, लिखने की कोशिश,,, करता रहा हूँ ,,दोस्तों ,,,में दूध
का धुला नहीं ,,में राजा हरिश्चंद्र की तरह ईमानदार भी नहीं ,,आज़ाद
,,,सियासी भी नहीं ,,लेकिन फिर भी ,,,मेरी आत्मा,,, मुझे सन्तुष्ठ करती
है,, के मेरे अधिकतम ,,,अलफ़ाज़ सच्चाई ,,उगलते है ,,कुछ सच ,,,ऐसा भी होता
है ,,जिसे में देखता हूँ ,,महसूस करता हूँ ,,लेकिन लिखता नहीं में कुछ
,,पक्षपात भी करता हूँ ,,लेकिन फिर भी ,,में अधिकतम सच लिखने की कामयाब
,,कोशिश में रहता हूँ,, और इसीलिए,,, कई लोग,,, मुझ से,,, खफा भी रहते है
,,कई लोग ,,,मुझे सिर्फ ,,,उनके मिजाज़ ,,उनके ख़याल के मुताबिक़ ,,,लिखने के
लिए,,, बंधक भी ,,बनाना चाहते है ,,लेकिन में ,,,अब तक यतार्थ में हूँ
,,सपनो में,,, या रिमोट से,, चलने वाला ,,नहीं बन पाया हूँ ,,मेरे कुछ
दोस्त कहते है ,,,के तुम कभी क्या ,,कभी क्या लिखते हो ,,..उन्हें पता नहीं
,,,सूरज उगेगा ,,तो सूरज उग गया ,,,ही लिखा जाएगा ,,उन्हें पता नहीं
,,सूरज डूब गया,,, तो सूरज डूब गया ही,,, लिखा जाएगा ,,लेकिन,, मेरे यह
दोस्त ,,चाहते है,, के अगर,, मेने सूरज उग गया है,,, लिख दिया,,, तो अंतिम
समय तक ,,,सूरज उग गया ,,,ही लिखता रहूँ ,,क्या यतार्थ में ,,बदलाव में
,,बदले हुए हालातो में,,, सच लिखने से लोग ,,,खफा होते है ,,,,में ,,उन
लोगो को बदलना चाहता हूँ ,,,जो मुझे बदलने की कोशिश में है ,,अगर मेरे देश
के ,,,हक़ में,, कोई फैसला हुआ है ,,तो ,,मेरे देश के हक़ में,,, फैसला लेने
वाला ,,,अगर मेरा दुश्मन भी है,,, तो में ,,उसके लिए लिखता हूँ ,,तो मुझ
से सवालात ,,अगर मेरी कॉम के कोई हमदर्दी के साथ,, जुड़ा है ,,उसके पक्ष
में लिख दू ,,,तो सवालात ,,अगर मेरी कॉम को ,,,कोई ठग रहा है,, उसके खिलाफ
लिख दू,,, तो सवालात ,,,फिर वही शख्स ,,अगर बहतर काम कर दे,, फिर उसके
द्वारा ,,किये गए बेहतर ,,,काम के बारे लिखता हूँ ,,,तो सवालात ,,में
पूंछना चाहता हूँ ,,,क्या लेखनी स्थिर होती है ,,क्या लेखनी एक स्थाई विचार
पर टिकती है ,,क्या बदलाव के साथ दिख रही हक़ीक़त को लोगो को दिखाना लेखनी
नहीं होती ,,क्या किसी एक विशिष्ठ व्यक्ति ,,विशिष्ठ विचारधारा का,,लेखक ,,
बनना ही ,, एक अच्छा लेखक बनने की खूबियां है ,,क्या एक बार सूरज उग गया
लिखने के बाद ,,सूरज डूबने पर सूरज डूब गया ,,लिखने की आज़ादी ,,लिखने की
बेबाकी एक लेखक के इख़्तियार में नहीं ,,मुझ से आज भी कुछ मेरे भाइयो ने
बदलने के लिए कहा ,,,जिसके अच्छे काम को अच्छा लिखा ,,उसके लाख बुरा करने
पर भी उसे बुरा नहीं लिखने का सुझाव दिया है ,,ऐसे कई सुझाव मेरे समक्ष
मेरे हितेषियों ,,मेरे भाइयो के है ,,कुछ तो ऐसे है जो मुझे पढ़ते नहीं
,,मुझे समझते नहीं ,,सिर्फ मेरे द्वारा लिखे गए अल्फ़ाज़ों पर चर्चा के बाद
मुझे सुझाव देने लगते है ,,दोस्तों में कन्फ्यूज़ हूँ क्या करूँ ,,मेरे
दोस्तों ,,मेरे प्रशंसको की बात मानकर ,,किसी का पट्टा गले में डाल कर मेरी
इस स्वतन्त्र लेखनी की हत्या कर दूँ ,,या फिर अपनी अंतरात्मा की आवाज़ के
हिसाब से ,,जो देखा है ,,जो हालात है ,,उनको लफ़्ज़ों में उकेर कर आपके समक्ष
परोसता रहूँ ,,और अपनी लेखनी पर गुरुर करता रहूँ ,,,सुझाव का इन्तिज़ार है
,,,आपका शुक्रगुज़ार ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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