सच जब तुम
नाराज़ होते हो ,,
आँख के आंसू
छुपाकर ,
क़लम से आंसू
बहाता हूँ ,,
सच जब तुम
गले लगाते हो
अपना बनाते हो
अपने जज़्बात
छुपा कर
में क़लम से
मुस्कुराता हूँ ,,अख्तर
नाराज़ होते हो ,,
आँख के आंसू
छुपाकर ,
क़लम से आंसू
बहाता हूँ ,,
सच जब तुम
गले लगाते हो
अपना बनाते हो
अपने जज़्बात
छुपा कर
में क़लम से
मुस्कुराता हूँ ,,अख्तर
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