अपने दिल पर
हाथ रखो ,,
दिल की
धड़कनो से पूंछो ,,
तुम्हारे हर इंकार पर
कितनी बार
फूट फ़ूट कर
रोया हूँ में ,,
मेरे हर आंसू पर
मुस्कुराते हो तुम
मुझे गमी में देखकर
सुकून पा जाते हो तुम
में भूलना चाहता हूँ
तुम्हे रोज़ रोज़
फिर भी
ख्वाबो में आकर
सताते हो तुम ,,अख्तर
हाथ रखो ,,
दिल की
धड़कनो से पूंछो ,,
तुम्हारे हर इंकार पर
कितनी बार
फूट फ़ूट कर
रोया हूँ में ,,
मेरे हर आंसू पर
मुस्कुराते हो तुम
मुझे गमी में देखकर
सुकून पा जाते हो तुम
में भूलना चाहता हूँ
तुम्हे रोज़ रोज़
फिर भी
ख्वाबो में आकर
सताते हो तुम ,,अख्तर
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