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08 दिसंबर 2016

मेरे एक दोस्त का अजीब सवाल ,,ईद तो दो होती है ,,यह तीसरी ईद कहाँ से आयी

मेरे एक दोस्त का अजीब सवाल ,,ईद तो दो होती है ,,यह तीसरी ईद कहाँ से आयी ,,,उनके लिए मुझ गुनाहगार का इस्लामिक  रोशनी में एक जवाब ,,,,में खुद ईद मिलादुन्नबी के जुलुस जलसो में सियासी लोगो की आमद के खिलाफ नहीं ,,लेकिन उन्हें बुलाकर लाने के खिलाफ हूँ ,,इस दिन हुज़ूर स अ व की ख़ुशी उनके सम्मान के मजमे में ,,ऐसे लोगो को बुलाकर सियासत करने ,,उन्हें मालाये पहनाने के खिलाफ हूँ ,,,,में इस्लाम के नाम पर एकत्रित भीड़ को सियासी भीड़ बताकर नेतागिरी के खिलाफ हूँ ,,में इस विचार का भी हूँ के अगर ,,इस्लाम की दावत ,,इस्लाम का पैगाम लोगो तक पहुंचाने का गेर इस्लामी लोगो को बुलाने का कोई प्रोग्राम भी है तो सिर्फ्र एक दल एक पार्टी ही क्यों सभी पार्टियां क्यों नहीं ,,,सभी गेर इस्लामिक लोग क्यों नहीं ,,क्यों हम एक गोद में हुज़ूर स अ व के पैगाम को बैठा देना चाहते है ,,इस्लाम के नाम पर इन्साफ तो ठीक है ,,लेकिन ऐसी सियासत कई कोड़ो की पिटाई से भी बढ़ा गुनाह है ,,खेर में बात तीसरी ईद की करता हूँ जो मेरे वोह भाई मुझ जैसे नासमझ शख्स से ही ,, समझ ले ,,,,, ईद के मायने ख़ुशी से है ,,,एक ख़ुशी रोज़ो के  मुकम्मल होने के बाद की ख़ुशी ,,दूसरी ख़ुशी क़ुरबानी की ख़ुशी ,,जनाब यह वोह ख़ुशी है जब हुज़ूर स अ व जिन्होंने हमे सभी खुशियों ,,अल्लाह के हुक्म क़ुरआन से रूबरू कराया ,,हमे इंसाफ दिलाया ,,हमे जानवर से इंसान बनाया ,,हमे इज़्ज़त दिलवाई ,,हमे नमाज़ के तरीके सिखाये ,,,हमे बुराई से बचाने के रास्ते बताये ,हमे दीन दिया ,,दीन के रास्ते पर चलना सिखाया ,,हमे तोबा का मुकम्मल रास्ता दिखाया ,,हमे हमारे गुनाहों से माफ़ी का तरीक़ा सिखाया ,,,,यह वोह ईद है ,,यह वोह ख़ुशी है जो अल्लाह के सबसे नज़दीक नबी स अ व की आमद की है भाई ,,,माफ़ी चाहता हूँ ,,,अख्तर

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