घर वापसी हो गया।
लव जिहाद हो गया।
गौ मांस हो गया।
गौ रक्षा हो गया।
सहिष्णुता हो गया।
असहिष्णुता हो गया।
शाहरुख़ खान हो गया।
आमिर खान हो गया।
ज़ाकिर नायक हो गया।
हाजी अली हो गया।
JNU हो गया।
AMU हो गया।
भारत माता की जय हो गया।
बन्दे मातरम् हो गया।
बांग्लादेश हो गया।
पाकिस्तान हो गया।
चार बच्चे हो गया।
तीन तलाक़ हो गया।
सर्जिकल स्ट्राइक हो गया।
चाइना का बहिष्कार हो गया।
पाकिस्तानी कलाकार हो गया।
ए दिल मुश्किल हो गया।
कश्मीर अभी चल रहा है।
इन सभी ऐतिहासिक कारनामो में पूरे तीन साल मिडिया को व्यस्त रख कर आम आदमी के बुनियादी सवालों को गायब कर दिया गया !
कभी आपने टीवी पर सरकारी शिक्षा के गिरते स्तर पर बहसें देखीं हैं ?
कभी आपने ग्रामीण भारत में आज भी हो रहे बाल विवाह की समस्या पर "एक्सपर्टों"की *कोई टीम टीवी पर देखि ?
कभी आपको सड़को पर भीख मांगते बच्चों के पीछे लगा कोई कैमरा देखा ?
नालों फुटपाथों पर जिंदगी को कूडे के ढेर की तरह ढोते हुए लोगों की जिंदगियों पर कभी कोई चिल्लाता हुआ नजर आया क्या ?
मिडिया को व्यर्थ के मुद्दों पर व्यस्त रख कर बहुत बड़े बड़े "कारनामे" किये जा रहे है और हमें इसकी भनक तक नहीं !
स्ट्राइक" से जी भर गया हो तो अब नया शिगुफा तैयार है न !!
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