कोटा शहर के बीचो बीच स्थित बाबा जंगलीशाह भंवर शाह तकिया वक़्फ़ क़ब्रिस्तान
,,,जहां ज़िला वक़्फ़ कमेटी कोटा का मुख्यालय है ,,मशहूर बाबा जंगलीशाह सहित
आधा दर्जन बाबाओ का मज़ार होने से यहां हज़ारो लोग रोज़ आते है ,,वक़्फ़
सम्पत्ति पर ,,महफ़िल खाने से लाखो रूपये की आमदनी होती है ,,जिसे
क़ब्रिस्तानों के रख रखाव पर खर्च करना होते है ,,लेकिन दोस्तों क़रीब दो साल
पहले राजस्थान वक़्फ़ निगरां बोर्ड के सदस्य निगराकर की हैसियत से मेने जब
इस क़ब्रिस्तान में ,,क़ब्रों में से कुत्तो को बोटें खेंच कर लेजाते देखा तो
मिडिया के माध्यम से कोटा के जागरूक मुस्लिमो को इकट्ठा किया ,,कोटा के
जागरूक मुसलमानो ने वक़्फ़ कमेटी से इस क़ब्रिस्तान की व्यवस्थाएं अपने हाथो
में ली ,,,दैनिक भास्कर का में शुक्रगुज़ार हूँ जिसके सम्पादक विजयः चौहान
,,फोटोग्राफर सलीम शेरी ,, पत्रकार शेलेन्द्र माथुर ने हौसला अफ़ज़ाई की
,यहां आबिद कागज़ी ,,पार्षद मोहम्मद हुसेन ,,बाबा रज़ाक ,भाई इल्यास अंसारी
,, अमीन पठान ,,,,गफ्फार मिर्ज़ा ,,,रफ़ीक़ बेहलियम ,,,मुज़फ्फर राहिन ,,खुद
अज़ीज़ अंसारी ,,इमरान कुरैशी ,,समीउल्ला सहित कई दर्जन लोगो की क़ुर्बानियां
है ,,जिन्होंने दिन रात एक किया ,,,जन सहयोग से क़ब्रिस्तान में मिटटी डलवाई
का काम शुरू हुआ ,,कई अतिक्रमण थे ,,करोडो रूपये की बेशक़ीमती ज़मीन
,,मुस्लिम समाज से जुड़े लोगो ने ,,अपने रोज़गार हठा कर कॉम के हित में
स्वेच्छा से इन अतिक्रमणों को हटाया ,,,झाड़ काटे गए ,,बुलडोज़र आये ,,ज़मीन
का समतलीकरण किया गया ,,,लाखो रूपये की मिटटी डलवाई गयी ,,नगर निगम ,,नगर
विकास न्यास सहित सभी लोगो की मदद ली गयी ,,जंगली शाह बाबा क़ब्रिस्तान पर
स्वेच्छा सेवादारो का मेला लगने लगा ,,देखते ही देखते लाखो रूपये गेब से
चन्दा हुआ ,,क़ब्रिस्तान की बाउंड्री हुई ,,गेट लगाए गए ,,,प्लेटफॉर्म बने
,,हाईमास्क लाइटें लगी ,,पक्की पगडंडियां बनाई गयी ,,पानी का बहाव एक तरफ
किया गया ,,यक़ीनन कोटा शहर के समाजसेवकों ने इस काम में तन मन धन से अपना
साथ दिया ,,यह क़ब्रिस्तान कोटा शहर का एक आधुनिक सुविधायुक्त क़ब्रिस्तान
,,के रूप में तैयार हुआ ,,बाउंड्री हो गयी ,, दरवाज़े लग गए ,,अब इसका
रखरखाव फिर से ज़िला वक़्फ़ कमेटी के हाथ में था ,,,क़ब्रिस्तान का एक रास्ता
,,ज़िला वक़्फ़ कमेटी कार्यालय की तरफ से है ,,,जहां स्थित महफ़िल खाने से लाखो
रूपये की कमाई हो रही है ,,दुसरा रास्ता सी ऐ डी की तरफ से है ,,,एक
रास्ता और इसी तरफ बनाया गया है ,,दोस्तों अफ़सोस की बात है हमारे कोटा शहर
के लाखो अक़ीदतमन्दों की क़ुर्बानियां लाखो रूपये इस क़ब्रिस्तान में जो
लगाए गए वोह बेकार जाते दिख रहे है ,,क़ब्रिस्तान के सी ऐ डी रोड के दरवाज़े
,,पर काउं केचर ,,केटल गार्ड नहीं लगाए जाने से वहां दरवाज़ा खुलता है ,,रोज़
नियमित सो से भी अधिक भैंसें ,,गाँये और कुत्ते क़ब्रिस्तान में आते है
,,नयी पुराने क़ब्रो पर जब यह भारी भारी भेंसे चलती है तो कातलों से ढकी
क़ब्रें टूट जाती है ,,क़ब्रों में से कई मुर्दे झांकते नज़र आते है
,,,बेचारा फ़क़ीर रोज़ टूटी क़ब्रो को ठीक करना चाहता है ,,लेकिन वक़्फ़ कमेटी
की मदद नहीं मिल पाने से फ़क़ीर बेबस है ,,आज कोटा के लोगो द्वारा ,,,कोटा
का एक मात्र आदर्श क़ब्रिस्तान बनाने के बाद भी ,,इस क़ब्रिस्तान से लाखो
रूपये की कमाई वक़्फ़ कमेटी को होने पर भी ,,यहां रोज़ भेंसे ,,गांय ,,कुत्ते
क़ब्रो पर चढ़ते नज़र आते है ,,,कई दर्जन क़ब्रे शहीद है ,,कोई भी जाकर देखे तो
हालात देखकर उसका दिल दहल जाए ,,लेकिन क़ब्रिस्तान के रख रखाव के लिए
ज़िम्मेदारों के कान पर जूँ भीं नहीं रेंगती है ,,,अब नल टूट गए है ,,लाइटें
बन्द हो गयी है ,,,इस क़ब्रिस्तान के दरवाजों पर अगर काऊ केचर लगा दिए जाएँ
,,,यहां एक स्थाई चोकीदार रख दिया जाए तो यहां टूटने वाली क़ब्रों को बचाया
जा सकता है ,,इस क़ब्रिस्तान को गांय और भेंसो की चरागाह बनने से रोका जा
सकता है ,,इस क़ब्रिस्तान की क़ब्रों में कुत्तो का आना जाना रोका जा सकता है
,,,,मुर्दे जिनकी निगहबान सिर्फ वक़्फ़ कमेटिया ही होती है ,,,और कोटा का यह
क़ब्रिस्तान तो ,,लाखो रूपये कमाकर देने वाला क़ब्रिस्तान है ,,यहां तो
निगहबान वक़्फ़ कमेटी का खुद का दफ्तर है ,,जहां एक दर्जन कर्मचारी है ,,यही
अगर ऐसी बदइंतिज़ामी ,,आम मुसलमानो के लाखो रूपये खर्च करने और सभी लोगो की
समर्पित कार सेवा के बाद ऐसे हालात हो तो राजस्थान के वक़्फ़ मंत्री
,,राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड ,,वक़्फ़ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की
निगेहबानी को क्या कहिये ,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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