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11 मार्च 2016

चीनी सैनिकों ने फिर की घुसपैठ, भारतीय जवानों के साथ 3 घंटे तक हुई तकरार



इंडो-चाइना बॉर्डर। (फाइल)
इंडो-चाइना बॉर्डर। (फाइल)
नई दिल्ली.चीन के सैनिकों ने एक बार फिर इंडियन बॉर्डर में घुसपैठ की है। आठ मार्च को चीनी सैनिक लद्दाख के पैन्गोंग लेक के पास 6 किलोमीटर अंदर तक घुस आए। इस दौरान वहां गश्त कर रहे आईटीबीपी के जवानों के साथ उनकी तकरार हुई। इसी इलाके में अप्रैल और जून 2015 में भी चीन ने घुसपैठ की थी। डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा- दोनों ओर के अफसरों ने दखल देकर मामला सुलझाया...
- डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, चीन के 11 सैनिक तीन दिन पहले लद्दाख के सिरजाप इलाके में घुस आए थे।
- इस दौरान चीनी सैनिकों की चार गाड़ियां भारतीय इलाके में 6 किमी तक अंदर तक देखी गईं।
- सूत्रों के मुताबिक, वहां तैनात भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों ने चीनी सैनिकों को वहां से लौटने के लिए कहा।
- चीनी सैनिकों के लौटने से पहले दोनों देशों के जवान कुछ घंटे तक आमने-सामने रहे।
- इस घटना की पुष्टि करते हुए आर्मी अफसर ने कहा कि कोई बड़ी घटना नहीं हुई।
क्या है विवाद?

- भारत-चीन के बीच विवादित इलाका 4000 किलोमीटर का है। लेकिन चीन का कहना है कि विवाद वाला इलाका महज 2000 किलोमीटर का है।
- इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर में से अक्साई चीन को चीन के ही सुपुर्द कर दिया है।
- इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच 18 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है।
- चीन के साथ भारत का विवाद 64 साल पुराना है। इसका एक बड़ा कारण इंटरनेशनल बॉर्डर क्लियर न होना है।
- भारत मानता आ रहा है कि चीन जानबूझकर इस विवाद का हल नहीं कर रहा है।
- भारत मैकमोहन लाइन को सही मानता है। चीन इस लाइन को अवैध बताता है।

2015 में होती रही घुसपैठ

- 27 जून 2015 को लेह से 168 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख में पैन्गोंग झील में घुसपैठ हुई थी। इस झील का 45 किमी किनारा भारतीय सीमा में है। जबकि 90 किमी चीन में। चीनी सैनिक भारतीय सीमा में आ गए थे। वहां उनका सामना भारतीय सैनिकों से हुआ था। दोनों तरफ से बैनर लहराते हुए दावा किया गया कि इलाका उनका है। बाद में चीनी सैनिक लौट गए। पैन्गोंग झील के नॉर्थ और साउथ में चीनी सैनिक पहले भी घुसपैठ की कोशिश करते रहे हैं। अप्रैल में भी इसी इलाके में घुसपैठ हुई थी।
- चीनी सेना ने 2014 में 334 बार भारतीय इलाके में घुसपैठ की। यह घुसपैठ लद्दाख के आसपास के इलाकों में हुई है।
- 2013 में चीन के सैनिकों ने 400 बार घुसपैठ की कोशिश की।
बुर्तसे में ही अगस्त 2014 और जुलाई 2013 में हुआ था कई बार टकराव

अगस्त 2014 : चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग भारत दौरे पर थे, तब भी लद्दाख में 10 दिन से ज्यादा वक्त तक घुसपैठ विवाद के चलते भारत-चीन की आर्मी आमने-सामने थी। चीनी सैनिक लद्दाख के बुर्तसे क्षेत्र में भारतीय बॉर्डर में 25 किलोमीटर अंदर तक घुस गए थे। इंडियन आर्मी के गश्ती दल ने पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के अधिकारियों को देखा था। इसके बाद गश्ती दल लौट आया था। अगले दिन जब जवान फिर गश्ती पर निकले, तब भी चीनी सैनिकों की जगह में कोई बदलाव नहीं आया। उन्होंने 'यह चीनी इलाका है, वापस जाओ' लिखा झंडा ले रखा था।

सितंबर 2014 : 30 चीनी सैनिक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को पार कर भारतीय बॉर्डर में 500 मीटर अंदर घुस गए थे और तंबू गाड़ दिए थे। मामले की खबर मिलते ही इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के 70 जवानों को इलाके में तैनात किया गया था।

जुलाई 2013 : चीन की आर्मी बुर्तसे में भारतीय चौकियों के दो किलोमीटर पास तक आ गई थी। यह जगह लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से करीब 30 किलोमीटर दूर है। इसी महीने चुमार सेक्टर में चीन की आर्मी घुस आई थी। उससे पहले 11 जुलाई को उनके हेलिकॉप्टर ने हमारे एयर स्पेस का वॉयलेशन किया था।

अप्रैल 2013 :लद्दाख के दिप्सांग के मैदानों में ही टकराव की स्थिति पैदा हुई थी जब चीनी सेना ने भारत के अंदर 19 किलोमीटर तक अपने खेमे गाड़ दिए थे। कुछ दिन बाद दोनों फौज इस बात पर राजी हुई कि पूरे लद्दाख में 15 अप्रैल से पहले की स्थिति बनाकर रखी जाएगी। इसके बाद ही भारत और चीन की आर्मी पीछे हटी।

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