कोटा जिला न्यायालय में आज ,,,,,राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश ,,,,किसी भी
सूरत में ,,काम काज बंद नहीं किया जाए ,,,आज कर्मचारियों की सामूहिक अवकाश
हड़ताल के कारण ठंडे बस्ते में बंद हो गया ,,अदालतों में पूरी तरह से काम
ठप्प रहा ,,कुछ अदालतों में कल की जनरल तारीख़ दी गई ,,तो कुछ अदालतों के
दरवाज़े बंद रहे ,,बाद में वरिष्ठ वकील अब्दुल सलाम अंसारी ने जब इस पर
उज़्रदारी की तो कुछ अदालतों में थोड़ी देर के लिए पीठासीन अधिकारी आकर बैठे
,,,,,न्यायिक कर्मचारियों ने आज सेठी आयोग की रिपोर्ट के तहत
वरिष्ठ्ता तय करना ,,वेतनमान का निर्धारण ,,इन्क्रीमेंट की मांग को लेकर
एक दिन का सामूहिक अवकाश लेकर अदालत का कामकाज ठप्प कर दिया ,,,कर्मचारियों
में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर ,,बाबू ,,रीडर ,,स्टेनो सहित प्रत्येक
कर्मचारी आज सामूहिक अवकाश पर था ,,सुबह दस बजे से ही कर्मचारियों ने
अदालतों में जुलुस निकाला ,,अदालतों में पत्रावलियां नहीं निकली
,,मजिस्ट्रेट डायज़ पर नहीं बैठे ,,अदालतों द्वारा वकीलों के निधन ,,उनकी
शोकसभा और दूसरे मामलों में कार्यस्थगन को लेकर कई तरह की टिका टिप्पणी कर
काम करने पर मजबूर किया जाता रहा है ,,खुद हाईकोर्ट ने भी इस मामले में
वकीलों के किसी भी शॉकसभा वगेरा जैसे कार्यस्थगन में असहयोग करने का आदेश
देते हुए नियमित काम करने के निर्देश जारी किये है ,,लेकिन आज अदालतों के
ठप्प कामकाज को देखकर कुछ वकीलों ने सवाल खड़े किये के आज ,,हाईकोर्ट के
निर्देश कहा है ,,वरिष्ठठ वकील अब्दुल सलाम अंसारी ने इस मामले में एक
लिखित पत्र कई वकीलों के हस्ताक्षर करवाकर ,,अदालतों में कामकाज शुरू
करवाने की भी मांग की ,,इस मामले में अब्दुल सलाम अंसारी ने उच्चतम
न्यायालय ,,,उच्चन्यायालय ,,सहित कई जगह शिकायत भी भेजी है ,,वरिष्ठ वकील
अब्दुल सलाम अंसारी का कहाँ है के वकीलों की मृत्यु हो जाने पर ,,उनकी
शवयात्रा के दौरान भी वकीलों को एक तरफ तो काम करने के लिए यह अदालते मजबूर
करती है ,,,और आज कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश के कारण इलाज़ तक में नहीं
बैठे है ,,इस पर उन्होंने आपत्ति जताते हुए पत्र लिखा है ,,इधर कर्मचारियों
ने सेठी आयोग की रिपोर्ट लागु नहीं होने तक अनिश्चित कालीन अवकाश का
निर्णय लिया है ,,भारत के सभी विभागों में सर्वाधिक महनत और लगन से काम
करने वाले न्यायिक कर्मचारी जो रात दिन काम करते है ,,उन्हें उनका हक़ नहीं
देना ना इंसाफी है और सरकार को इसका दण्ड भुगतना होगा ,,सर्वोच्च न्यायलय
के आदेश के बाद भी इस तरह की नाइंसाफी अदालत की अवमानना की श्रेणी में भी
आता है ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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