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10 फ़रवरी 2016

क़ानून के स्तम्भ ,,क़ानून की आवाज़ ,,क़ानून को क़ानून से चलने और चलाने वाले ,,वरिष्ठ एडवोकेट अहमद बख्श का आज कोटा में इंतिक़ाल हो गया

क़ानून के स्तम्भ ,,क़ानून की आवाज़ ,,क़ानून को क़ानून से चलने और चलाने वाले ,,वरिष्ठ एडवोकेट अहमद बख्श का आज कोटा में इंतिक़ाल हो गया ,,अहमद बख्श राजस्थान के नामचीन और वरिष्ठ अभिभाषकों में से एक थे ,,,जिन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट ,,सुप्रीम कोर्ट ,,जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सहित ,,देश की सभी बढ़ी अदालतों में पैरवी की थी ,,अहमद बख्श वर्तमान में आल इण्डिया मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय महासचिव भी थे ,,,,,,अहमद बख्श एडवोकेट कोटा में ही जन्मे ,,उनका परिवार मध्यप्रदेश माण्डू से कोटा आया था ,,उन्होंने कोटा से ही क़ानून की डिग्री ली ,,फिर कोटा में ही वकालत शुरू की ,,1954 में अहमद बख्श को कोटा ज़िले की छबड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस से विधायक का टिकिट दिया ,,फिर अहमद बख्श एडवोकेट सियासत छोड़कर वकालत पर ध्यान देने लगे ,,,फिर खुद चलता फिरता क़ानूनी एन्साइक्लोपीडिया बन गए ,,अहमद बख्श एडवोकेट के सहयोगी वकीलों की भी एक लम्बी फहरिस्त है ,,,,वकालत में राजस्थान के शेर के नाम से पहचान बना चुके ,एडवोकेट अहमद बख्श् ने कभी किसी भी पेचीदा मुक़दमे में हार नहीं मानी ,,,अनेक मुकदमो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी उन्होंने विधिक रुख मोड़ कर कई मुकदमो के फैसले बदलवाने में कामयाबी हांसिल की ,,वकालत में हमेशा वेळ ड्रेस एण्ड वेळ एड्रेस का उनका सिद्धांत रहा है ,,,वकालत में हमेशा यूनिफॉर्म पहन कर आना ,,वक़्त पर आना ,,पूरी फ़ाइल सभी बारीकियों और बचाव के नज़रिये से पढ़कर आना ,,हर फ़ाइल में संबंधित क़ानून पढ़कर आना ,,,हर क़ानून अपनी डायरी में लिखकर रखना ,,,वकालत के वक़्त सिर्फ वकालत करना ,,वक़्त पर अदालत में उपस्थित होना ,,और अदालत में सिविल रूल्स ,,क्रिमनल रूल्स ,अदालत आचार संहिता ,,एडवोकेट एक्ट के प्रावधानों के तहत ही वकालत करना ,,,आज अदालत में एक तरफ बहस ,,एक तरफ गवाही ,,एक तरफ दूसरे काम होते रहना आम बात है ,,लेकिन अहमद बख्श ने अदालत में कभी भी समझोता नहीं किया ,,अगर गवाह से जिरह होना है तो जज का कन्सट्रेशन गवाही पर ही रहे ,,बहस हो तो जज का कन्सट्रेशन बहस पर ही हो ,,जो भी कार्यवाही हो सिर्फ एक हो और जज के कन्सट्रेशन के साथ हो ताके विधिक कार्यवाही हो सके ,,अनेको बार उन्होंने कई जजो से इस मामले में मोर्चा भी लिया ,,निर्भीकता से अपनी बहस करना ,,फैसला कुछ भी हो लेकिन अपनी तरफ से पूरी महनत कर हवाओ का रुख बदलने का उनका हुनर खूब था ,,अहमद बख्श एडवोकेट का एक सीक्रेट मेरे सामने था ,,एक ऍन डी पी एस एक्ट का मामला ,,जिसमे जज सजा देने का मानस बना चुके थे ,,तकनीकी कई खामिया थी ,,कई विरोधाभास थे फिर भी जज साहब कहीं सज़ा नहीं दे ,,इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ,,जज साहब की अदालत के बाहर एक ठेले में सैकड़ों किताबे लाकर रखी और बहस शुरू कर दी ,,एक के बाद किताबे ,,आखिर जज साहब ने कहा के आपकी किताबे पढ़ी हुई मानी ,,आप किताबों का ठेला वापस भिजवा दो ,,बाद में उनका मुल्ज़िम उनके इसी हुनर के कारण दोषमुक्त हो गया ,,,,,,,,,,,,,,हिंदी ,,उर्दू ,,अरबी ,,अंग्रेजी ,,राजस्थानी ,,हाड़ोती भाषा में मास्टरी रखने वाले अहमद बख्श बढ़ो में बढे ,,बच्चे हो जाते थे ,,उनको इतिहास का शोक था ,,वोह एक मुखर वक्ता होने से राजनीति में जब भाषण देते थे तो लोग उन्हें सुनने के लिए उमड़ पढ़ते थे ,,उनकी पार्टी का समझोते के तहत एक या दो केंद्रीय मंत्री हमेशा सत्ता में रहते थे ,,इसलिए वोह सत्ता में भी अपने लोगों के मनचाहे काम करवा लिया करते थे ,,,,,,,,,नव्वे साल की उम्र में आज अहमद बख्श एडवोकेट हमे छोड़कर चले गए ,,उनके पुत्र सलाउद्दीन कोटा अदालत में ही वकालत कर रहे है ,,अल्लाह उन्हें जन्नत नसीब करे और उनके घर वालों को सब्र अता फरमाये ,,आमीन ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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