उज्जैन। आज (27 फरवरी, गुरुवार) महाशिवरात्रि
का पर्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान पूर्वक
पूजा करने तथा व्रत रखने से विशेष फल मिलता है। जो व्यक्ति इस दिन भगवान
शिव के निमित्त व्रत रखता है उसे अक्षय पुण्य मिलता है। धर्म शास्त्रों में
महाशिवरात्रि व्रत के संबंध में विस्तृत उल्लेख है। उसके अनुसार ये व्रत
इस प्रकार करें-
व्रत विधि
शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन व्रती (व्रत करने वाला) सुबह
जल्दी उठकर स्नान संध्या करके मस्तक पर भस्म का त्रिपुण्ड तिलक लगाएं और
गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें। इसके बाद समीप स्थित किसी शिव मंदिर
में जाकर शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करें। श्रृद्धापूर्वक व्रत का संकल्प
इस प्रकार लें-
शिवरात्रिव्रतं ह्येतत् करिष्येहं महाफलम्।
निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते।।
यह कहकर हाथ में फूल, चावल व जल लेकर उसे शिवलिंग पर अर्पित करते हुए यह श्लोक बोलें-
देवदेव महादेव नीलकण्ठ नमोस्तु ते।
कर्तुमिच्छाम्यहं देव शिवरात्रिव्रतं तव।।
तव प्रसादाद्देवेश निर्विघ्नेन भवेदिति।
कामाद्या: शत्रवो मां वै पीडां कुर्वन्तु नैव हि।।
इस प्रकार करें रात्रिपूजा
व्रती दिनभर शिवमंत्र (ऊँ नम: शिवाय) का जप करें तथा पूरा दिन निराहार
रहे। (रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते
हैं।) धर्मग्रंथों में रात्रि के चारों प्रहरों की पूजा का विधान है।
सायंकाल स्नान करके किसी शिवमंदिर में जाकर अथवा घर पर ही (यदि नर्मदेश्वर
या अन्य कोई उत्तम शिवलिंग हो) पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके तिलक
एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प इस प्रकार लें-
ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये
व्रती को फल, पुष्प, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप, दीप और नैवेद्य से चारों प्रहर की पूजा करनी चाहिए। दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिव को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर के पूजन में शिवपंचाक्षर (नम: शिवाय) मंत्र का जप करें। भव, शर्व, रुद्र, पशुपति, उग्र, महान, भीम और ईशान, इन आठ नामों से पुष्प अर्पित कर भगवान की आरती व परिक्रमा करें। अंत में भगवान से प्रार्थना इस प्रकार करें-
नियमो यो महादेव कृतश्चैव त्वदाज्ञया।
विसृत्यते मया स्वामिन् व्रतं जातमनुत्तमम्।।
व्रतेनानेन देवेश यथाशक्तिकृतेन च।
संतुष्टो भव शर्वाद्य कृपां कुरु ममोपरि।।
अगले दिन सुबह पुन: स्नानकर भगवान शंकर की पूजा करने के बाद व्रत का समापन करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)